नई दिल्ली, 12 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए शुक्रवार को अंतरिम जमानत दे दी, हालांकि केजरीवाल फिलहाल जेल में ही रहेंगे। इस पर दिल्ली भाजपा के नेताओं ने कहा कि यहां पॉलिसी पैरालिसिस हो गई है।
नई दिल्ली से भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि सीएम केजरीवाल जनता को गुमराह कर रहे हैं। उनकी जिद के कारण दिल्ली में पॉलिसी पैरालिसिस है। मैं मांग करती हूं वो अपने पद से तुरंत इस्तीफा दें। आज सुप्रीम कोर्ट ने एक और इशारा किया है कि जब भी ऐसे पद पर बैठा कोई व्यक्ति शामिल होता है तो उसे अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। वो इस मामले में अपने साथियों को भी लिप्त कर रहे हैं। केजरीवाल कभी सौरभ भारद्वाज का नाम लेते हैं और कभी आतिशी का नाम लेते हैं। सत्ता के लालच में इतने डूबे हुए हैं कि वो इसे छोड़ना ही नहीं चाहते। आज दिल्ली में संविधान खतरे में है। आज मिली अंतरिम जमानत की शर्त वही है जो पहले दी गई थी। वो सीएम के दफ्तर नहीं जा सकते, वो किसी फाइल पर साइन नहीं कर सकते। जब तक उसे एलजी आफिस फॉरवर्ड नहीं करेगा। उनके कारण दिल्ली की जनता त्रस्त है, उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी एक बार फिर जनता को और मीडिया को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जो अर्जी कोर्ट के समक्ष लगाई थी, वह बेल के लिए थी ही नहीं। उन्हें तो यह बात कहने के लिए अर्जी लगाई थी कि उनकी अरेस्ट लीगल है या इललीगल है। कोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है, कोर्ट ने तो उल्टा यह कहा कि उनके खिलाफ सारे सबूत मौजूद हैं। वो इस मामले में पूरी तह दोषी हैं।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल पर दिल्ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। केजरीवाल को ये जमानत ईडी के केस में दी गई है। सीबीआई का एक केस अलग से उन पर चल रहा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो उनसे एक अलग मामले में पूछताछ कर रहा है। इसका मतलब है कि केजरीवाल अभी जेल से नहीं निकल पाएंगे।
अदालत ने उन्हें ईडी द्वारा दायर आबकारी नीति मामले में अंतरिम जमानत देते हुए कहा, केजरीवाल ने 90 दिनों से अधिक समय तक जेल की सजा काटी है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने ये फैसला सुनाया।
कोर्ट ने उन्हें बड़ी बेंच की सुनवाई होने तक अंतरिम जमानत दी है। कोर्ट ने कहा कि हमने चुनावी फंडिंग को लेकर भी सवाल उठाया है। ऐसे में सिर्फ पूछताछ के आधार पर गिरफ्तारी की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने अब इस मामले में तीन जजों की बेंच के गठन के लिए चीफ जस्टिस को भेजा है।
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