बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर आज देशभर की सभी बिजली उपयोगिताओं के सभी बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों ने निजीकरण विरोधी दिवस मनाया तथा उपयोगिता मुख्यालयों एवं परियोजनाओं पर बैठकें कर उत्तर प्रदेश एवं चंडीगढ़ में निजीकरण के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन, जॉइन फोरम और कई अन्य कर्मचारी यूनियनों/एसोसिएशनों द्वारा आज पटियाला पीएसपीसीएल मुख्यालय में निजीकरण विरोधी विरोध सभा आयोजित की गई। सभा को ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के मुख्य संरक्षक पदमजीत सिंह और अन्य ने संबोधित किया।
लखनऊ में एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे और हैदराबाद में महासचिव पी रत्नाकर राव ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन पर कर्मचारियों को गुमराह करने और ऊर्जा निगमों में भय और औद्योगिक अशांति का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया।
उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध सभाएं लखनऊ, वाराणसी आगरा, चंडीगढ़, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, गुवाहाटी, नागपुर, रायपुर, जबलपुर, भोपाल, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, देहरादून, पटियाला, रांची आदि स्थानों पर आयोजित की गईं, वीके गुप्ता ने बताया।
शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी और अभियंता लगातार बिजली व्यवस्था को सुधारने और 15 दिसंबर से शुरू हो रही ओटीएस योजना को सफल बनाने में लगे हुए हैं, लेकिन पता नहीं क्यों पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने रहस्यमय तरीके से प्रदेश के 42 जिलों में बिजली वितरण को बेचने का फैसला ले लिया है।
इस बार भी पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों की अरबों रुपये की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए बिना ही उन्हें औने-पौने दामों में बेचने की साजिश है।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की बेशकीमती अरबों रुपए की जमीन किस आधार पर मात्र एक रुपए में निजी घरानों को सौंप दी जाएगी? यह सार्वजनिक संपत्ति है। इन सब बातों से बिजली कर्मचारी और उपभोक्ता बेहद परेशान और आक्रोशित हैं।