ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित दो दिवसीय ‘प्रवासी भारतीय सम्मेलन’ को आल इंडिया मुस्लिम फेडरेशन न्यूजीलैंड चाप्टर के चेयरमैन भवदीप सिंह ढिल्लन ने सफल बताया। सम्मेलन के दौरान, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 10 साल पहले दिए गए बयान को याद किया, जिसमें मोदी जी ने कहा था कि भारत और उसके एनआरआई भाई-बहनों का रिश्ता पासपोर्ट के रंग का नहीं, बल्कि खून के रंग का है। ढिल्लन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इसे सच कर दिखाया है और इस सफलता के जरिए उन्होंने इस रिश्ते को पूरी दुनिया के सामने साबित किया है।
भवदीप सिंह ढिल्लन ने आगे कहा, “मैं एक पूर्व अवार्डी हूं और वर्तमान में अवार्ड्स जूरी कमिटी का सदस्य भी हूं। यह दिन दुनियाभर में फैले भारतीयों को एकत्र करता है और उन्हें उनके जड़ों से जोड़ता है। इस अवसर पर वे भारत का संदेश दुनिया भर में पहुंचाते हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत का विकास निरंतर और अनवरत हो रहा है, जिसे दुनिया भर में देखा जा रहा है। 1.4 बिलियन की जनसंख्या वाले भारत में हर दिन, हर पल और हर सेकंड विकास हो रहा है और यह न सिर्फ देखा जा रहा है, बल्कि सराहा भी जा रहा है। एनआरआई समुदाय इस विकास को देखकर गर्व महसूस करता है और यही संदेश वे दुनिया में लेकर जाते हैं।
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इस आयोजन से भारत की छवि में सुधार हुआ है और जो पुराने विचार थे, वे अब बदल रहे हैं। सतनाम सिंह संधू जी की नेतृत्व में किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए, ढिल्लन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के संदेश को फैलाने में उनका भी योगदान रहा है।
बता दें कि इससे पहले राज्य के उप मुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव ने इस कार्यक्रम को सफल बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए ओडिशा के सभी लोगों ने पूरी मेहनत और समर्पण के साथ योगदान दिया।
उप मुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “यह काम सफलतापूर्वक पूरा हुआ है क्योंकि ओडिशा के सभी लोगों ने पूरी मेहनत और समर्पण के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। हम पर्यटन क्षेत्र में निवेश की ओर देख रहे हैं क्योंकि यहां लंबी तटरेखा है। साथ ही हम खनिज क्षेत्र में भी निवेश पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि राज्य में खनिज संसाधन उपलब्ध हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर आप ध्यान दें, तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण में भी यह बात उठाई गई थी कि ओडिशा अपनी लंबी तट रेखा, और खनिजों की वजह से निश्चित रूप से लाभ उठा सकता है। यह ओडिशा में “मेक इन उड़ीसा” सम्मेलन का पूर्व संकेत है। अब इसके बाद, 17-18 तारीख को एक और प्रतिनिधिमंडल आ रहा है, इस पर भी हमारा फोकस है।”
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