स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग में 2,700 पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है। 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि सरकार एक ऐसी योजना शुरू करने की योजना बना रही है, जिसके तहत उनके घर-द्वार पर ही चिकित्सा जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की स्वास्थ्यप्रद जलवायु, जो विशेष रूप से क्षय रोग (टी.बी.) के रोगियों के लिए उपयुक्त है, को देखते हुए राज्य सरकार बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री ने यहां राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय टास्क फोर्स की दो दिवसीय बैठक का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में देशभर से टीबी विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। सुखू ने टीबी से जुड़े कलंक को दूर करने और इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से ‘मेरी टीबी की कहानी चरण-2’ पहल का ऑफलाइन मोड भी लॉन्च किया।
सुखू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने प्राकृतिक वातावरण का लाभ उठाकर मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि चीड़ के जंगल टीबी के मरीजों के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा, “आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस से लैस पोर्टेबल एक्स-रे मशीन जैसी आधुनिक तकनीक पांच जिलों में उपलब्ध कराई गई है और जल्द ही इस सेवा का विस्तार बाकी जिलों में भी किया जाएगा।”
हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने इस अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत की है, साथ ही यह दूसरी बार बैठक की मेजबानी भी कर रहा है। उन्होंने कहा, “कार्यशाला से जो मूल्यवान सुझाव सामने आएंगे, वे इस खतरनाक बीमारी से निपटने में सहायक होंगे। हम अपनी ओर से टीबी को जड़ से मिटाने के लिए हर संभव सहायता दे रहे हैं, हर साल करीब 15,000 ऐसे रोगियों का इलाज किया जा रहा है।”
सुखू ने कहा कि राज्य सरकार ने नवीनतम चिकित्सा उपकरण प्राप्त करने के लिए एम्स, दिल्ली के साथ समझौता किया है। उन्होंने कहा कि टांडा मेडिकल कॉलेज, कांगड़ा और आईजीएमसी, शिमला में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है और स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के प्रयास चल रहे हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री धनी राम शांडिल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में टीबी रोगियों को 1500 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है तथा सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए तत्परता से काम कर रही है, खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में। बैठक में स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक प्रियंका वर्मा, स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक डॉ. गोपाल बेरी, राष्ट्रीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. अशोक भारद्वाज, केंद्रीय टीबी प्रभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. संजय कुमार मट्टू तथा डीडीजी-टीबी डॉ. उर्वशी सिंह भी शामिल हुए।
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