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जैविक मक्का की खरीद शुरू, अब तक 80 मीट्रिक टन की खरीद

Procurement of organic maize started, 80 metric tons purchased so far

राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना के तहत प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई जैविक मक्की की फसल की खरीद 25 अक्टूबर से सोलन जिले के धर्मपुर में शुरू हुई। यह राज्य में किया जा रहा पहला ऐसा प्रयास है, जहां मक्की को पीसकर नागरिक आपूर्ति डिपो के माध्यम से जनता को बेचा जाएगा।

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी सोलन के परियोजना निदेशक योगराज चौहान ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार शुक्रवार से पूरे प्रदेश में प्राकृतिक खेती के तहत उगाई गई मक्की की फसल की खरीद शुरू हो गई है।

राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के तहत यह काम किया जाएगा। कृषि विभाग किसानों से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मक्के की फसल खरीदेगा और किसानों को भुगतान के लिए इसे हिमाचल प्रदेश खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग को सौंप देगा। एक किसान से कुल खरीद सीमा 20 क्विंटल तय की गई है। खरीदे गए मक्के को हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में रखा जाएगा। किन्नौर और लाहौल-स्पीति को छोड़कर 12 जिलों में से नौ में खरीद की जा रही है, हालांकि शिमला, चंबा और कुल्लू में अभी यह शुरू नहीं हुई है।

विभिन्न जिलों में इसकी खरीद के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है। कृषि विभाग ने हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के 24 थोक केंद्रों को मक्के के संग्रहण केंद्र के रूप में चुना है। निगम इन संग्रहण केंद्रों से मक्के की खरीद कर उसे आटा मिलों में पिसवाएगा।

इस उद्देश्य के लिए पूरे राज्य में 14 आटा मिलों की पहचान की गई है। पिसे हुए आटे को आटा मिलों द्वारा 1 किलो और 5 किलो के पैक में पैक किया जाएगा और इसका नमूना कृषि विभाग द्वारा निगम के साथ साझा किया जाएगा। मक्का को निगम द्वारा आटा मिलों से वापस खरीदा जाएगा और आगे की बिक्री के लिए उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से मांग के अनुसार बाजार मूल्य पर बेचा जाएगा।

सोलन जिले में तीन आटा मिलों की पहचान की गई है। इनमें चंबाघाट में दीपक इंडस्ट्रीज, धरमपुर ब्लॉक के कटल का बाग गांव में अप्रोवा फूड प्रोसेसिंग और नालागढ़ में साई एग्रो मिल शामिल हैं। जिले के अर्की, धरमपुर, नालागढ़ और सोलन में स्थित भंडारण केंद्रों से खरीद का काम शुरू हो गया है।

परियोजना निदेशक ने बताया कि योजना के तहत प्राकृतिक खेती से उगाए गए गेहूं का खरीद मूल्य 4,000 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

प्राकृतिक खेती के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना की घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में की थी।

योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गेहूं को 40 रुपये प्रति किलोग्राम तथा मक्का को 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का निर्णय लिया गया है। यह योजना प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों की आय को सुरक्षित बनाकर बढ़ाने में सफल साबित होगी।

सोमवार तक 80 मीट्रिक टन मक्का खरीदा जा चुका है। इसके लिए राज्य भर में 423 किसानों की पहचान की गई है।

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