राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया द्वारा कल बुलाई गई 45 मिनट की बैठक के बाद राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार सतर्क हो गई है। इस कदम ने न केवल नागरिक प्रशासन में हलचल पैदा कर दी है, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी को भी सचेत कर दिया है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज कहा, “उन्हें अधिकारियों से मिलने दीजिए। उन्हें उनसे परिचय की जरूरत थी। आखिर उन्हें कल उन्हें पत्र भी लिखना है, उन्हें उनसे मिलने दीजिए। लेकिन यह कहना गलत है कि यह समानांतर सरकार चलाने जैसा है।”
राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी को अभी एकत्र करना शुरू नहीं किया गया है। राज्यपाल ने राज्य के सीमावर्ती जिलों में रहने वाले भूतपूर्व सैनिकों का विवरण और राज्य द्वारा संचालित उन विश्वविद्यालयों की सूची मांगी थी, जिनमें नियमित कुलपति नहीं हैं।
राज्यपाल कटारिया ने कल शाम प्रशासनिक सचिवों से कहा था कि वह शीघ्र ही उनसे पुनः मिलेंगे।
कुछ साल पहले जब तत्कालीन राज्यपाल ने राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव और डीजीपी को कथित तौर पर बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति पर तलब किया था, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि राज्यपाल को “भाजपा की हरकतों” में नहीं पड़ना चाहिए था और उन्हें “सीधे उनसे पूछना चाहिए था।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मुद्दे पर ज़्यादा कुछ कहने से परहेज़ किया, लेकिन विपक्षी शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि राज्यपाल द्वारा समानांतर बैठकें आयोजित करना संघवाद की भावना के विरुद्ध है, जैसा कि संविधान में निहित है। अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि ऐसी बातें केंद्र-राज्य संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने भगवंत मान को सलाह दी कि वे राज्य के मामलों में केंद्र के हस्तक्षेप से बचने के लिए अपने घर को व्यवस्थित करें।