पंजाब और हरियाणा राज्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के तहत केंद्र से धनराशि जारी होने का इंतजार कर रहे हैं, 16 जुलाई तक दोनों राज्यों पर संयुक्त रूप से 376.60 करोड़ रुपये का बकाया है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लोकसभा में साझा किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पंजाब पर 331.48 करोड़ रुपये की देनदारियाँ बकाया हैं, जबकि हरियाणा पर 45.12 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें श्रमिकों का वेतन भुगतान और किए गए कार्यों की सामग्री लागत दोनों शामिल हैं।
मनरेगा एक मांग-आधारित वेतन-रोज़गार कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत राज्य वास्तविक क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर केंद्र को निधि जारी करने का प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं। चौहान ने सदन को सूचित किया कि निधि जारी करना एक सतत प्रक्रिया है और सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को माँग के अनुसार संसाधन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
देश भर में कई राज्य केंद्रीय धनराशि जारी होने का इंतज़ार कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश 2,864.31 करोड़ रुपये के बकाया के साथ सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश (1,765.15 करोड़ रुपये), राजस्थान (1,687.39 करोड़ रुपये) और बिहार (1,680.13 करोड़ रुपये) का स्थान है।
इस वित्तीय वर्ष में अब तक केंद्र ने राज्यों को 44,323 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसमें पिछले वर्ष की देनदारियों के निपटान के लिए राशि भी शामिल है। मनरेगा के दिशानिर्देशों के अनुसार, केंद्र मजदूरी और प्रशासनिक लागत का 100 प्रतिशत वहन करता है, जबकि सामग्री लागत का 75 प्रतिशत केंद्र और शेष 25 प्रतिशत राज्य वहन करते हैं।
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