पंजाब के मोगा जिले के एक गांव का 25 वर्षीय युवक, जो पिछले साल छात्र वीजा पर रूस गया था, वहां सेना में “भर्ती” हो गया और उसे “धोखे से” रूस-यूक्रेन संघर्ष में धकेल दिया गया, ऐसा उसके परिवार का कहना है।
मोगा के चक कनियां कलां गांव के बूटा सिंह के परिवार का दावा है कि वह उन अनेक लोगों में से हैं, विशेषकर उत्तर भारत से, जिन्हें “धोखे से” रूस-यूक्रेन संघर्ष में धकेल दिया गया है और अब वे अपनी सुरक्षित वापसी के लिए केंद्र से मदद मांग रहे हैं।
मंगलवार को संपर्क करने पर, सिंह की बहन करमजीत कौर ने फ़ोन पर बताया कि उनका भाई अक्टूबर 2024 में एक ट्रैवल एजेंट के ज़रिए भाषा का कोर्स करने रूस गया था। उन्होंने बताया कि एजेंट ने यह भी कहा था कि वह रूस में पार्ट-टाइम नौकरी करके कुछ पैसे कमा सकता है।
कौर ने बताया कि रूस जाने के लिए धन की व्यवस्था करने हेतु परिवार ने अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेच दिया था।
उन्होंने बताया कि लगभग एक सप्ताह पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हुए कुछ वीडियो के माध्यम से परिवार को पता चला कि सिंह कुछ अन्य लोगों के साथ फंस गया है और उसे यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया है।
वीडियो में, सिंह और कुछ अन्य लोगों को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे छात्र वीज़ा पर मास्को गए थे और उन्हें बाद में कुछ और नौकरियां देने का वादा किया गया था। लेकिन फिर वे फँस गए और रूसी सेना में भर्ती हो गए, उन्हें बंदूकें सौंप दीं गईं और लड़ने के लिए कहा गया।
वीडियो में एक अन्य व्यक्ति कहता है, “हम भाजपा सरकार से अपील करते हैं कि हमें यहां से निकाला जाए क्योंकि हमारी जान को गंभीर खतरा है।” कौर ने बताया कि उनके भाई से आखिरी बातचीत 11 सितंबर को व्हाट्सएप पर वॉयस मैसेज के जरिए हुई थी।
सिंह के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और मां परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पशुपालन करती हैं। कौर ने कहा कि परिवार ने हाल ही में केंद्र को पत्र लिखकर सिंह की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए मदद मांगी है।