अयोध्या, 21 मार्च । श्रीराम की नगरी अयोध्या में बुधवार को संतों-महंतों के बीच रंगभरी एकादशी को लेकर उत्साह का माहौल देखने को मिला। प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या की पहली रंगभरी एकादशी बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। रंगभरी एकादशी पर हनुमानगढ़ी मंदिर में हनुमान जी को गुलाल लगाने के साथ उत्सव का आरंभ हुआ।
अखिल भारतीय निर्वाणी अखाड़ा हनुमानगढ़ी के 500 संतों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली खेली। इससे पहले संतों ने हनुमान जी के निशान की पूजा की। सभी संतों ने होली खेलते हुए अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा की। ब्रह्ममुहूर्त में ही रामनगरी के 10,000 से अधिक मंदिरों के गर्भगृह में विराजमान भगवान की राग-भोग आरती, साज-सज्जा के साथ उनके गाल पर गुलाल लगाया गया।
यही नहीं अवध में होली के आगाज पर मंदिरों में आने वाले भक्तों को भी प्रसाद के रूप में गुलाल लगाया गया। अबीर से सराबोर रामनगरी की संस्कृति का उल्लास और भी चटख हो चला। फाल्गुन शुक्ल एकादशी मतलब रंगभरी एकादशी पर्व से अवध की होली का विधिवत शुभारंभ होता है। रंगभरी एकादशी के पर्व पर रामनगरी में संतों-महंतों ने अपने आराध्य के प्रति अनुराग प्रकट करते हुए अबीर-गुलाल उड़ाकर प्रभु के साथ होली खेली।
हनुमानगढ़ी परिसर में रंगभरी एकादशी पर श्रद्धा अपने चरम पर दिखी। इस मौके पर धार्मिक नगरी अयोध्या कि सड़कें अबीर और गुलाल से रंगी नजर आईं। परम्परागत रूप से कड़ी सुरक्षा में प्रमुख सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी से संतों का जुलूस अयोध्या की सड़कों पर निकला। संतों ने ढोल की धुन पर जमकर नृत्य किया तथा अखाड़ों के पहलवानों ने अपनी शौर्य कला का भी प्रदर्शन किया।
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने बताया कि सिद्ध पीठ हनुमान गढ़ी से नागा साधुओं के साथ हनुमान जी का निशान लेकर रंगभरी एकादशी के मौके पर हम लोग पंचकोश की परिक्रमा करने के लिए निकले। स्वयं हनुमान जी अयोध्या के प्रमुख मठ मंदिरों में होली का निमंत्रण देने जा रहे हैं। हनुमान जी का निशान है, बल्लम है और छड़ी है।
हनुमानगढ़ी के नागा साधुओं ने एक-दूसरे को अबीर लगाकर होली की शुभकामनाएं दी। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। इस वर्ष भव्य तरीके से होली मनाई जा रही है, क्योंकि प्रभु राम अपने भव्य महल में 500 वर्ष बाद विराजमान हुए हैं, तो होली का उत्साह और अधिक बढ़ जाता है।