गुरुग्राम, 10 जून छठी बार संसद पहुंचने वाले हरियाणा के पहले राजनेता राव इंद्रजीत सिंह लगातार तीसरी बार मोदी मंत्रिपरिषद में जगह बनाने में सफल रहे हैं।
2014 में भाजपा में शामिल होने वाले वरिष्ठ अहीर नेता राव लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। 2019 के चुनाव में उन्होंने राज्य में सबसे अधिक वोट हासिल करके रिकॉर्ड बनाया था। द ट्रिब्यून से संक्षिप्त बातचीत में राव ने कहा कि वह इस बार हरियाणा के लोगों की सेवा करने का एक और मौका मानते हैं।
अच्छा प्रदर्शन राव इंद्रजीत सिंह छठी बार संसद पहुंचने वाले हरियाणा के पहले राजनेता हैं वह लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे हैं उन्होंने 2019 के चुनाव में राज्य में सबसे ज्यादा वोट हासिल कर रिकॉर्ड बनाया था इससे पहले, उन्होंने पिछले दो कार्यकालों में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में मोदी सरकार की सेवा की थी
राव ने कहा, “मंत्रिमंडल में मेरा प्रतिनिधित्व जनता का प्रतिनिधित्व है। पिछले 10 सालों में हमें बड़ी परियोजनाएं मिलीं, लेकिन ये पांच साल सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे।”
इससे पहले, उन्होंने पिछले दो कार्यकालों में मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), योजना, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन और योजना, और केंद्रीय राज्य मंत्री, रक्षा मंत्रालय के रूप में कार्य किया।
वरिष्ठ अहीर नेता राव इंद्रजीत ने 1977 में जटूसाना विधानसभा (अब कोसली) से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। जटूसाना, जो उनके पिता राव बीरेंद्र सिंह की पारंपरिक सीट थी, में उन्हें अपने परिवार के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर मैदान में उतारा गया और तब से वे अहीरवाल में अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रहे हैं।
राव 1977 से 1982, 1982 से 1987 और 1991 से 1996 तथा पुनः 2000 से 2004 तक चार बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य रहे। 1986 से 1987 तक उन्हें हरियाणा सरकार में योजना, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दायित्व सौंपा गया। 1991 से 1996 तक वे राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे।
उन्होंने पर्यावरण एवं वन तथा चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों को भी संभाला। उनके पिता राव बीरेंद्र सिंह ने 1998 में महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से उन्हें अपनी जगह लोकसभा उम्मीदवार बनाया। राव इंद्रजीत संसद पहुंचे और 12वीं लोकसभा के सदस्य बने।
यह कार्यकाल छोटा रहा क्योंकि 1999 में अगले ही चुनाव में उन्हें पहली हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2004 में वे फिर से वापस आए और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1998 से 1999 तक राव विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबंधी संसद की स्थायी समिति के सदस्य भी रहे। 2004 में वे महेंद्रगढ़ सीट से 14वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए।