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पांच रंगाई इकाइयों के खिलाफ 31 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाने की सिफारिश

Recommendation to impose fine of more than Rs 31 lakh against five dyeing units

झज्जर, 19 जुलाई हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) के बहादुरगढ़ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने दिशानिर्देशों का घोर उल्लंघन करने पर बाढ़सा गांव की पांच रंगाई इकाइयों के खिलाफ 31.70 लाख रुपये के पर्यावरण मुआवजे की सिफारिश की है।

यह कार्रवाई ऐसी इकाइयों के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा की जा रही शिकायत के बाद की गई है। हाल ही में एनजीटी को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में एचएसपीसीबी के स्थानीय कार्यालय ने इकाइयों पर मुआवज़ा लगाने की सिफारिश का खुलासा किया है।

शिकायतकर्ता वरुण गुलाटी ने पिछले साल विभिन्न जिलों – झज्जर के बाढ़सा, फरीदाबाद के धीरज नगर और सूर्य विहार, गुरुग्राम के बजघेड़ा, धनकोट, धनवापुर, सेक्टर 37 और सोनीपत के फ्रेंड्स कॉलोनी, प्याऊ मनियारी और फिरोजपुर बांगर – में संचालित अत्यधिक प्रदूषणकारी ‘लाल श्रेणी’ रंगाई इकाइयों के खिलाफ एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था।

अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि करीब 500 ऐसी अनाधिकृत रंगाई इकाइयां नियमों का उल्लंघन करते हुए आवासीय और गैर-अनुरूप क्षेत्रों में चल रही हैं। इन इकाइयों ने न तो अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ईटीपी) स्थापित किए थे और न ही कोई अन्य प्रदूषण-रोधी उपकरण थे। उन्होंने दावा किया कि वे खुले में या यमुना में मिलने वाले नालों में अपशिष्ट बहा रहे थे।

एनजीटी के निर्देशों के अनुपालन में, तथ्यात्मक स्थिति की पुष्टि करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक ऋषभ श्रीवास्तव, बादली के नायब तहसीलदार शेखर और एचएसपीसीबी (बहादुरगढ़) के सहायक पर्यावरण अभियंता अमित की एक संयुक्त समिति गठित की गई थी।

27 मार्च को समिति ने इकाइयों का निरीक्षण किया तथा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें बताया गया कि शिकायतकर्ता द्वारा उल्लिखित चार इकाइयों को मानदंडों का उल्लंघन करने के कारण पहले ही सील कर दिया गया है।

सूत्रों ने बताया कि एचएसपीसीबी ने इकाइयों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था, लेकिन वे जवाब देने में विफल रहे। अब इसने राज्य के अधिकारियों को पांच इकाइयों के खिलाफ मुआवजे की सिफारिश की है।

एचएसपीसीबी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, 15 जुलाई को मैसर्स जींस डाइंग इकाई के खिलाफ 15.60 लाख रुपये, मैसर्स डीके एंटरप्राइजेज, मैसर्स मान्या डाइंग और एक अनाम जींस डाइंग इकाई के खिलाफ 4.90-4.90 लाख रुपये तथा बाढ़सा स्थित मैसर्स डीए वॉश के खिलाफ 1.40 लाख रुपये के पर्यावरण मुआवजे की सिफारिश की गई थी।

अमित ने कहा: “डाइंग इकाइयों के पास न तो स्थापना और संचालन की सहमति थी और न ही उन्होंने ईटीपी स्थापित किया था। अपशिष्ट को बाईपास व्यवस्था के माध्यम से सीधे नाले में बहाया जा रहा था।”

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