खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राजेश नागर के आश्वासन के बाद, जिले के चावल मिल मालिकों ने कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) योजना के तहत अपनी मिलों का पंजीकरण शुरू कर दिया है। इस कदम से खरीद प्रक्रिया को सुचारू बनाने की उम्मीद है, हालाँकि अधिकारी मानते हैं कि ऑनलाइन प्रसंस्करण में देरी और धान में नमी की अधिकता बड़ी बाधाएँ हैं।
करनाल राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने कहा, “हमने सीएमआर के तहत अपनी मिलों का पंजीकरण शुरू कर दिया है। हमने अपनी फाइलें जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) कार्यालय में जमा कर दी हैं, जो उन्हें ऑनलाइन प्रोसेस करेगा।”
सूत्रों के अनुसार, ऑनलाइन प्रक्रिया में समय लग रहा है, जिससे मिल मालिकों को अनाज मंडियों के आवंटन में और देरी हो सकती है। इस बीच, स्थानीय अनाज मंडियों में धान की आवक बढ़ गई है, लेकिन अधिकांश फसल में नमी की मात्रा 20-22 प्रतिशत है, जो निर्धारित सीमा 17 प्रतिशत से अधिक है, जिससे एजेंसियां खरीद शुरू नहीं कर पा रही हैं।
अब तक जिले में 14,823 मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है। डीएफएससी अनिल कुमार ने कहा, “ऑनलाइन पंजीकरण की समस्या का समाधान किया जा रहा है। कुछ ही दिनों में मिल मालिकों का पंजीकरण हो जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि नमी की अधिकता के कारण एजेंसियों ने अभी तक खरीद शुरू नहीं की है।
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