चिकित्सा बिलों के भारी लंबित रहने को देखते हुए, पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएचएस) के प्राधिकारियों ने ऐसे मामलों से तुरंत निपटने के लिए एक चिकित्सा प्रतिपूर्ति प्रकोष्ठ की स्थापना की है।
खास बात यह है कि बिल जमा करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी शुरू की गई है, ताकि समय पर उनका निपटारा सुनिश्चित हो सके। ऐसे बिलों के निपटारे के लिए तीन सप्ताह की समयसीमा भी तय की गई है, साथ ही संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है।
सूत्रों ने बताया कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति से संबंधित 400 से अधिक मामले कई महीनों से लंबित पड़े हैं, जबकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों सहित लाभार्थियों को या तो विश्वविद्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं या फोन पर अधिकारियों से संपर्क करना पड़ रहा है।
“इस कदम से यूएचएस और पीजीआईएमएस, रोहतक के सेवानिवृत्त और कार्यरत कर्मचारियों को राहत मिलेगी, क्योंकि यह सेल उनके मेडिकल बिलों की समय पर प्रतिपूर्ति की सुविधा प्रदान करेगा। यूएचएस के कुलपति डॉ. एचके अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति में अत्यधिक देरी की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए सेल की स्थापना की जानी थी।”
उन्होंने कहा कि यूएचएस और पीजीआईएमएस के सेवानिवृत्त कर्मचारी राज्य के विभिन्न जिलों में रह रहे हैं। इनमें से कुछ दूसरे राज्यों में भी रह रहे हैं। अब उन्हें अपने बिलों की प्रतिपूर्ति के लिए यूएचएस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। उनके बिलों की प्रतिपूर्ति तीन सप्ताह की समय सीमा के भीतर स्वतः हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, जिसके कारण ऐसे मामलों के निपटान में देरी होती थी।
डॉ. अग्रवाल ने कहा, “सेल में अतिरिक्त कर्मचारी होंगे, जिनमें एक उप अधीक्षक, एक फार्मासिस्ट और एक क्लर्क शामिल होंगे, जो दो महीने के भीतर सभी लंबित चिकित्सा दावों का निपटारा करेंगे। सेल लाभार्थियों को ईमेल के माध्यम से चिकित्सा बिलों की स्थिति के बारे में नियमित अपडेट प्रदान करेगा। अधिकारी हर महीने सेल की प्रगति रिपोर्ट मेरे कार्यालय को सौंपेंगे।”
उन्होंने कहा कि प्रत्येक मेडिकल बिल पर प्राप्ति तिथि और अंतिम तिथि अंकित होगी, ताकि प्राप्तिकर्ता क्लर्क से लेकर मंजूरी देने वाले प्राधिकारी तक सभी को इसके निपटान की अंतिम तिथि का पता चल सके।
पीजीआईएमएस के निदेशक डॉ. एसके सिंघल, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. कुंदन मित्तल और वित्त नियंत्रक राजेश कुमार मनोचा ने इस कदम को महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि इससे हजारों कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और उनके मेडिकल बिलों का समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा।
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