छात्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू), रोहतक ने अपने छात्रों को विश्वविद्यालय के विभागों में अंशकालिक रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की है।
हाल ही में शुरू की गई पंडित दीन दयाल उपाध्याय छात्र-केंद्रित कौशल आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत, विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों में नामांकित छात्र अब महीने में 20 दिन, यानी 40 घंटे मासिक और 120 घंटे प्रति शैक्षणिक सत्र, प्रतिदिन 2 घंटे तक काम कर सकेंगे। अपने कौशल स्तर और वित्तीय पृष्ठभूमि के आधार पर, वे 8,000 रुपये से 16,000 रुपये प्रति माह कमा सकेंगे।
इस पहल को समर्थन देने के लिए विश्वविद्यालय ने 10 करोड़ रुपये का एक कोष स्थापित किया है।
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह की अध्यक्षता में आज हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस कदम के पीछे के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “योजना के पहले चरण में 1,500 छात्रों को शामिल किया जाएगा। छात्रों के चयन की प्रक्रिया पारदर्शी और योग्यता आधारित होगी। छात्रों का चयन उनकी प्रतिभा, कौशल और वित्तीय स्थिति के आधार पर किया जाएगा।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह विचार विदेशी विश्वविद्यालयों में आमतौर पर अपनाई जाने वाली अंशकालिक नौकरी संरचनाओं को प्रतिबिंबित करता है।
उन्होंने आगे कहा, “इसका मूल उद्देश्य विदेशों की तर्ज पर अंशकालिक नौकरियों के प्रावधान के लिए एक तंत्र शुरू करना है। इससे छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।”
इसे एक परिवर्तनकारी कदम बताते हुए, प्रो. राजबीर सिंह ने कहा, “यह योजना एमडीयू को सही मायनों में एक छात्र-केंद्रित विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने में मील का पत्थर साबित होगी। किसी भी विश्वविद्यालय का उद्देश्य न केवल छात्रों को डिग्री प्रदान करना होता है, बल्कि उन्हें रोज़गार के लिए तैयार करना भी होता है।”
डीन (छात्र कल्याण) प्रोफेसर सपना गर्ग, जो इस पहल के लिए गठित कार्यकारी बोर्ड की संयोजक भी हैं, ने योजना के कार्यान्वयन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा, ‘‘एमडीयू की यह अग्रणी पहल देश के अन्य विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को प्रेरित करेगी।’’
भुगतान संरचना को चार प्रति घंटे स्लैब में विभाजित किया गया है – 200 रुपये, 250 रुपये, 300 रुपये और 400 रुपये – जो छात्र के मूल्यांकित कौशल स्तर और पात्रता पर निर्भर करेगा। यह योजना 2025-26 शैक्षणिक सत्र से शुरू की जाएगी, जिससे छात्रों को अपनी शिक्षा जारी रखते हुए विभिन्न विश्वविद्यालय विभागों में काम करने का अवसर मिलेगा।
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