फरीदाबाद, 22 फरवरी शिक्षा विभाग ने जिले के पुराने व जर्जर सरकारी स्कूल भवनों को बदलने का अभियान शुरू किया है. नये भवनों के निर्माण की लागत करीब 78 करोड़ रुपये आंकी गयी है.
सूत्रों के मुताबिक, जहां तिगांव, बडौली, सेक्टर 22 और एनआईटी-1 में स्कूलों की इमारतों को बदलने का काम शुरू हो चुका है, वहीं कम से कम 10 अन्य स्कूलों में नई इमारतों के निर्माण के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं।
इनमें से छह बड़खल विधानसभा क्षेत्र में स्थित हैं, जबकि चार अन्य सेक्टर 7 और जिले के अजरौंदा, फतेहपुर बिल्लोच और सरूरपुर गांवों में स्थित हैं।
विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रति स्कूल औसत निर्माण लागत लगभग 4 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। विभाग ने बल्लभगढ़, मोहना, दयालपुर, फरीदपुर, तिगांव और अनंगपुर गांवों में स्थित स्कूलों का काम पूरा कर लिया है।
इन भवनों पर 29 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गयी है. सभी इमारतों को बहुमंजिला बनाया जाएगा और ये प्रयोगशालाओं, कॉमन रूम और स्मार्ट क्लासरूम जैसी सुविधाओं से सुसज्जित होंगे।
सूत्रों के अनुसार, आधे से अधिक सरकारी स्कूल इमारतों की खराब स्थिति या अपर्याप्त कक्षा सुविधाओं से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिससे छात्रों और कर्मचारियों को गंभीर असुविधा हो रही है।
यहां अभिभावकों की संस्था अभिभावक एकता मंच के प्रवक्ता कैलाश शर्मा कहते हैं, ”कुछ साल पहले अधिक कमरे उपलब्ध कराने या पुरानी और जर्जर इमारतों को बदलने का अभियान शुरू होने के बावजूद स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है।”
उन्होंने कहा कि कुछ पुराने भवनों के ध्वस्तीकरण या कुछ स्कूलों में प्रतिस्थापन के लिए चयन के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ है। सेक्टर 4, प्रेम नगर, गोंछी, सारन, बड़खल, सराय ख्वाजा, फत्तेपुर चंदीला, तिगांव, मेवला महाराजपुर, एनआईटी-3, ओल्ड फरीदाबाद, एत्मादपुर और सेहतपुर में स्थित स्कूलों में कक्षाओं की कमी के कारण दो शिफ्टों में कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। कक्षाएँ
हरियाणा प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष चतर सिंह ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर दोपहर के बाद या दूसरी पाली में कक्षाएं आयोजित करना असुविधाजनक है, जिससे छात्रों की उपस्थिति प्रभावित होती है।
उन्होंने कहा कि दोपहर से पहले कक्षाएं आयोजित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। वर्तमान में जिले में करीब 373 सरकारी स्कूल हैं। शिक्षा विभाग के एसडीओ सुनील कुमार ने कहा कि कई स्कूलों में नये भवन व कमरों का निर्माण या तो पूरा हो चुका है या चल रहा है.
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