January 15, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ को लेकर साधु-संतों ने जताया हर्ष, बताया इसे अद्भुत क्षण

Sages and saints expressed joy about Maha Kumbh, called it a wonderful moment

महाकुंभ नगर, 14 जनवरी । पौष पूर्णिमा स्नान के साथ महाकुंभ का आगाज हो चुका है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन देश-विदेश से श्रद्धालु कुंभ नगरी पहुंचे हैं। रात्रि से ही त्रिवेणी तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है। इस अवसर पर आईएएनएस ने साधु-संतों के साथ बातचीत में उनके अनुभव को जाना।

स्वामी बालिका नंद गिरी जी महाराज महामंडलेश्वर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि महाकुंभ को लेकर लोगों में अद्भुत उत्साह देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंच रहे हैं। यह लोगों को कुंभ के प्रति आकर्षण बता रहा है। यहां तक देवी-देवता भी अवतरित होकर स्नान कर रहे हैं। ऐसा होने से गंगा हमारी निर्मल और पवित्र हो रही है।

साध्वी निरंजन ज्योति ने आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने बताया कि श्रद्धालु उत्साहित हैं। सनातन की दृष्टि से यह बहुत ही अहम दिन है। हम लोग इस दिन के साक्षी होकर धन्य हो गए। मैं अपनी तरफ से सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देती हूं।

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती गिरि जी महाराज महामंडलेश्वर 1008 पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने भी आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा कि मैं उज्जैन से महामंडलेश्वर रंजनिया घड़ा स्वामी शांति स्वरूपानंद के साथ यहां आया हूं। पिछली रात से ही तैयारियां चल रही थीं। यह स्नान ऐसा है जैसे शादी-ब्याह की तैयारियां होती हैं। आज माघ मकर संक्रांति का दिन है, जब सूर्य उत्तरायण होते हैं और यह दिन खास स्नान के लिए होता है। यह पहले स्नान का अवसर है। माघ माह में जब सूर्य उत्तरायण होते हैं, तब यहां पहला स्नान होता है और यह सनातन परंपरा का हिस्सा है। सनातन धर्म की यह आस्था का सैलाब लगातार बहता आ रहा है, जैसे गंगा बहती है। यह देखकर लगता है कि आज देश में हिन्दू राष्ट्र का जागरण हो चुका है। हिन्दू आस्था की यह एकता है, जो परंपराओं को जीवित रखे हुए है।

उन्होंने कहा कि यह आस्था का मेला है, संक्रांति का पर्व है, और हम यहां अपनी आस्था को व्यक्त करने के लिए आए हैं। हम कट्टरता नहीं, बल्कि एकता और आस्था के कारण आते हैं। यह आस्था का अवसर है, जहां हम पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। हमें इस गंगा में स्नान करने से मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है। इस आस्था की डुबकी से न सिर्फ हमारे पाप धुलते हैं, बल्कि जो लोग सनातन धर्म का विरोध करते हैं, उनके पाप भी धुल सकते हैं। इस अवसर पर हम सभी को एकता और शांति की शुभकामनाएं देते हैं।

स्वामी त्रिवानंद ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि आज कुंभ के शाही स्नान पर मैं यह कहना चाहता हूं कि यह पर्व बहुत खास है, क्योंकि कई सालों के बाद यह अवसर आया है। यह भारत का सबसे बड़ा और विश्व का भी महत्वपूर्ण पर्व है। हम यहां स्नान कर रहे हैं और दुनिया को संदेश दे रहे हैं कि वे भी इस पवित्र अवसर का लाभ उठाएं, भगवान का दर्शन करें और पुण्य अर्जित करें। पूरी दुनिया इस कुंभ के बारे में जान रही है और लोग यहां आ रहे हैं। यह सनातन धर्म का महान पर्व है और हम सबको अपनी संस्कृति को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की जय जयकार हमेशा से होती आई है। हालांकि, इतिहास में कुछ शासकों के आने से देश में गड़बड़ी हुई थी, लेकिन अब हम सब मिलकर अपनी संस्कृति को सशक्त बनाने के लिए काम करेंगे और उसे दुनिया भर में फैलाएंगे। आज की तैयारियां बहुत ही बेहतर हैं। प्रशासन ने पहले से कई गुना बेहतर इंतजाम किए हैं। साधु संतों का सम्मान और आदर किया जा रहा है।

महामंडलेश्वर स्वामी चेतनगिरी महाराज ने भी महाकुंभ को लेकर आईएनएस से खास बातचीत की। उन्होंने कहा कि करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। यह लोगों की अगाध आस्था को दिखाता है। ऐसा योग भारत के अलावा किसी भी भूमि पर देखने को नहीं मिलेगा। हम सभी सनातन धर्म प्रेमियों से अपील करते हैं कि उन्हें अपनी मूल संस्कृति से जोड़ा जाए।

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