N1Live Himachal हिमाचल में बनी 11 दवाओं के नमूने घटिया घोषित
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हिमाचल में बनी 11 दवाओं के नमूने घटिया घोषित

Samples of 11 medicines made in Himachal declared substandard

सोलन, 20 जुलाई राष्ट्रीय औषधि नियामक, केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा आज शाम जारी मासिक अलर्ट में हिमाचल प्रदेश की नौ दवा इकाइयों में निर्मित 11 दवा नमूनों को राष्ट्रीय स्तर पर घटिया घोषित किए गए 31 नमूनों में शामिल किया गया है।

वापस लिए जाने वाले बैच राज्य औषधि नियंत्रक मनीष कपूर ने कहा कि सूची में शामिल दवाओं को बाजार से वापस ले लिया जाएगा। दवाओं को घटिया घोषित किए जाने का कारण जानने के लिए क्षेत्रीय जांच शुरू की जाएगी।

पांवटा साहिब स्थित कंपनी, जिसका इस सूची में हर महीने नाम आने का रिकार्ड है, एक बार फिर इस सूची में शीर्ष पर रही, क्योंकि इसके जेंटामाइसिन सल्फेट इंजेक्शन को कणीय पदार्थ की उपस्थिति तथा विवरण संबंधी मुद्दों जैसी गंभीर खामियों के कारण घटिया पाया गया।

इसके अलावा, बद्दी स्थित एक फर्म द्वारा निर्मित सेफ्ट्रिएक्सोन इंजेक्शन को पार्टिकुलेट मैटर की मौजूदगी के कारण घटिया घोषित किया गया। दोनों इंजेक्शन बैक्टीरिया संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं।

फार्मा विशेषज्ञों के अनुसार, इंजेक्शन में पार्टिकुलेट मैटर की उपस्थिति से न केवल मरीज की सुरक्षा प्रभावित होती है, बल्कि इसकी संभावित गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

बद्दी स्थित त्वचा देखभाल उत्पाद निर्माता कंपनी द्वारा निर्मित एलोवेरा ग्लिसरीन और विटामिन ई साबुन के तीन बैचों को भी घटिया घोषित किया गया, क्योंकि गुणवत्ता मापदंडों के अनुसार यह पदार्थ अल्कोहल में अघुलनशील पाया गया।

अन्य दवाएँ जैसे सेफिक्सिम और ओफ़्लॉक्सासिन टैबलेट, फ़ेक्सोफेनाडाइन हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट, एल्बेंडाज़ोल टेबलेट, हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट और आयरन और फोलिक एसिड सिरप को भी घटिया घोषित किया गया। इन दवाओं का इस्तेमाल एलर्जी, रक्त विकार, परजीवी संक्रमण, अस्थमा, जीवाणु संक्रमण जैसी आम बीमारियों के अलावा ऊर्जा और जीवन शक्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है।

गुणवत्ता मानकों को पूरा न कर पाने के लिए कई कारण बताए गए, जिनमें विघटन परीक्षण में विफल होना और परख सामग्री की कमी शामिल है, जिन्हें गंभीर दोष माना जाता है। ये दवाइयों की प्रभावकारिता को प्रभावित करते हैं।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार विघटन परीक्षण में असफल होने वाली गोलियां और कैप्सूल अत्यंत घटिया औषधियां हैं।

राज्य औषधि नियंत्रक मनीष कपूर ने कहा कि सूची में शामिल दवाओं को बाजार से वापस ले लिया जाएगा तथा दवाओं को घटिया घोषित किए जाने के कारणों का पता लगाने के लिए क्षेत्रीय जांच शुरू की जाएगी।

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