एक राष्ट्र-एक चुनाव’ प्रस्ताव पर संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने आज कहा कि जो राजनीतिक दल इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदाताओं की भावना को नहीं समझेंगे, उन्हें जनता बाहर का रास्ता दिखा देगी।
उन्होंने कहा, “लोकतंत्र लोगों की इच्छा है और जो राजनीतिक दल इसे नहीं समझेंगे, वे नष्ट हो जाएंगे। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि नेता क्या सोचते हैं, बल्कि मतदाताओं की नब्ज को समझना महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जो राजनीतिक दल इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे और मतदाताओं की समझ को कम आंकेंगे, उन्हें मतदाता नकार देंगे।
चौधरी ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायित्व नहीं है और राजनीतिक दल मतदाताओं की इच्छा के अनुसार अपना रुख बदल सकते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि आम सहमति बनेगी और विधेयक पारित हो जाएगा।”
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल, चाहे वे क्षेत्रीय हों या राष्ट्रीय, अपना दृष्टिकोण व्यक्त करेंगे। “हालांकि उन्हें यह देखना होगा कि जनता या नागरिक समाज क्या चाहता है। पंजाब की तरह, नागरिक समाज और प्रतिष्ठित लोगों ने एक स्वर में एक राष्ट्र-एक चुनाव प्रस्ताव का समर्थन किया,” उन्होंने कहा।
चौधरी ने कहा कि हिमाचल जैसे राज्य में कई बूथ दूर-दराज के इलाकों में स्थित हैं। चौधरी ने कहा, “हमने देखा है कि शिक्षक विधानसभा, लोकसभा और पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र, खासकर दूरदराज के इलाकों में, सबसे ज्यादा पीड़ित हैं।”
उन्होंने कहा कि देश में एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दल विचार-विमर्श कर रहे हैं, क्योंकि इस प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष पर बहस चल रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के समर्थन में भारतीय विधि आयोग और नीति आयोग की रिपोर्ट सहित कई रिपोर्ट हैं, लेकिन सभी हितधारकों के साथ परामर्श किया जाना चाहिए और उनके दृष्टिकोण को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों और समाज के हर वर्ग के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पार्टी जो भी निर्णय लेगी, वह राष्ट्र के हित में होगा।
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