राजधानी शिमला में पेयजल संकट का मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है। प्रदेश सरकार भी हरकत में आ गई है। शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों को तलब कर मंत्री ने कड़ी फटकार लगाई है। शहर में टैंकरों से पेयजल व्यवस्था को पटरी पर लाने के निर्देश दिए गए हैं। सोमवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने खुली अदालत में जलसंकट मामले की सुनवाई की।
अदालत के प्रश्न और अधिकारियों के जवाब
निगम के अधिकारियों ने अदालत को बताया कि शहरवासियों के लिए कुल 47 एमएलडी पानी चाहिए। गर्मी के कारण केवल 32 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है। निगम की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए खंडपीठ ने अधिकारियों से पूछा कि यदि गर्मी के कारण स्रोतों से 32 एमएलडी पानी ही उठाया जा रहा है तो वैकल्पिक दिन (एक दिन छोड़कर) में पानी क्यों नहीं दिया जा रहा है। निगम के अधिकारियों ने अदालत को बताया कि शहर में रोज सप्लाई देने के लिए 47 एमएलडी पानी की जरूरत है। वैकल्पिक दिन के लिए सिर्फ 24 एमएलडी की आवश्यकता है तो आठ एमएलडी पानी कहां जा रहा है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विजय अरोड़ा ने हाईकोर्ट को बताया कि शहर में स्थित होटलों के लिए पांच-पांच, छह-छह पानी के कनेक्शन घरेलू दरों पर दिए गए हैं। इसीलिए कोई भी होटल मालिक पानी के लिए हाहाकार नहीं मचा रहा है। इस मामले पर आगामी सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।
बारिश न होने से प्रदेश में 827 पेयजल स्कीमें सूखे से प्रभावित
बारिश न होने से प्रदेश में भी पेयजल संकट गहरा गया है। प्रदेश भर में 827 पेयजल स्कीमें सूखे से प्रभावित हैं। 97 परियोजनाएं 50 से 100 फीसदी तक सूख गई हैं। 483 परियोजनाएं शून्य से 25 और 247 परियोजनाएं 25 से 50 फीसदी तक सूख गई हैं। सभी जल शक्ति जोन से सरकार के पास पहुंची विस्तृत रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। पेयजल किल्लत से सबसे ज्यादा ग्रामीण आबादी जूझ रही है। प्रदेश भर में करीब 9,500 परियोजनाओं से लोगों को पानी की आपूर्ति की जा रही है। कुछ और दिन बारिश नहीं हुई तो कई पेयजल स्कीमों में पानी का स्तर घट जाएगा। जलशक्ति विभाग के इंजीनियर इन चीफ संजीव कौल ने बताया कि फील्ड से सोमवार को रिपोर्ट पहुंच गई है। सूखे से 827 पेयजल स्कीमें प्रभावित हुई हैं। शिमला में 377, हमीरपुर में 272, धर्मशाला में 133 और मंडी में 46 पेय-जल स्कीमें सूखे प्रभावित हैं।
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