बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की ओर से विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का पहला चरण पूरा कर लिया गया है। दावा किया जा रहा है कि इस प्रक्रिया के तहत करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कट सकता है। एसआईआर के पहले चरण की प्रक्रिया पूर्ण होने पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद सुधाकर सिंह ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने 22 लाख मृत मतदाताओं और 35 लाख बाहर रहने वाले लोगों को हटाने के आंकड़े पेश किए, जो सही नहीं हैं।
राजद सांसद ने दावा किया कि जीवित लोगों को मृत दिखाया गया और बिहार के बाहर रहने वाले लोगों को अवैध रूप से मतदाता सूची से हटाने की कोशिश की जा रही है।
सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान राजद सांसद ने आरोप लगाया कि विदेशी नागरिकों की आड़ में बिहार के वैध मतदाताओं को सूची से हटाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि एसआईआर का उद्देश्य गैर-नागरिकों को मतदाता सूची से हटाना है, लेकिन आयोग ने विदेशी नागरिकों की संख्या स्पष्ट नहीं की। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, क्योंकि भारत में मतदान का अधिकार केवल नागरिकों को है। एसआईआर प्रक्रिया में बिहार के मूल निवासियों को निशाना बनाया जा रहा है।
सासंद ने दावा किया कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के सुझावों को नजरअंदाज किया। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आयोग से आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को सत्यापन के लिए स्वीकार करने पर विचार करने को कहा था। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि नागरिकता का सत्यापन गृह मंत्रालय का कार्यक्षेत्र है, न कि चुनाव आयोग का।
सुधाकर सिंह का मानना है कि आयोग ने इन सुझावों को लागू नहीं किया, जो आदेश के समान हैं। आधार कार्ड और नागरिकता पर उन्होंने सहमति जताई कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, जैसा कि चुनाव आयोग और यूआईडीएआई ने भी स्पष्ट किया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत का कोई भी वयस्क नागरिक मतदाता बनने का हकदार है, और आधार जैसे सामान्य दस्तावेजों को सत्यापन में शामिल करना चाहिए, जैसा कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी मांग की थी।
सुधाकर सिंह ने एसआईआर के 11 बिंदुओं (11 दस्तावेजों की सूची) को लागू न करने और प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला विचाराधीन है, और सोमवार को इस पर सुनवाई होनी है।
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