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भाईचारे का प्रतीक है खेल : मनसुख मांडविया

Sports is a symbol of brotherhood: Mansukh Mandaviya

पटना, 21 नवंबर । केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने गुरुवार को देश में खेल जगत में व्‍याप्‍त मौजूदा विसंगतियों पर खुलकर बात रखी।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी हमेशा कहते हैं कि अगर हमें देश को आगे बढ़ाना है, तो इसके लिए देश की 140 करोड़ जनता का सामूहिक संकल्प आवश्यक है। उन्होंने इस विचार को कई बार दोहराया है कि किसी भी एक व्यक्ति के कदमों से बदलाव तो आ सकता है। लेकिन, जब देश की पूरी 140 करोड़ की जनसंख्या एक लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ती है, तो बदलाव की गति बहुत तेज हो जाती है। यह विचार देश के हर क्षेत्र में लागू होता है, खासकर खेल के क्षेत्र में यह बहुत महत्वपूर्ण है। जब 140 करोड़ लोग एकजुट होकर एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं, तो देश में असाधारण परिवर्तन संभव होता है।”

उन्होंने कहा, “खेल के क्षेत्र में भी हमें इस सामूहिक संकल्प को लागू करना होगा और इसके लिए एक आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। यह परिवर्तन केवल संरचनात्मक नहीं, बल्कि मानसिकता और दृष्टिकोण में भी होना चाहिए। खेलों को एक नए कलेवर के साथ, नए दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाना जरूरी है। मोदी जी ने इस बात पर भी दुख जताया कि हमारे खेल फेडरेशनों में कई बार लिटिगेशन जैसी समस्याएं सामने आती हैं, जिससे बच्चों और खिलाड़ियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।”

उन्होंने कहा, “खेल का मतलब केवल प्रतियोगिता नहीं होता, बल्कि खेल एक माध्यम है, जहां हर खिलाड़ी, चाहे वह हारे या जीते, अपने देश के लिए गौरव अर्जित करता है। खेल का असल उद्देश्य हर किसी को खेलने का अवसर देना और उसे अपने हुनर को निखारने का मौका देना होना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “मोदी जी ने यह भी कहा कि जब हम फेडरेशनों के बारे में बात करते हैं, तो उनकी भूमिका केवल खिलाड़ियों को समर्थन देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य पूरे खेल को आगे बढ़ाने के लिए एक सशक्त और सहायक ढांचा तैयार करना होना चाहिए। देश के खेल को आगे बढ़ाने के लिए फेडरेशनों, सरकार और एथलीटों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। जब सभी एक साथ मिलकर काम करेंगे, तो खेल के क्षेत्र में न केवल सुधार होगा, बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस होगा।”

उन्होंने कहा, “जब एक एथलीट किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेता है और जीतता है, तो यह सिर्फ उस एथलीट की व्यक्तिगत सफलता नहीं होती, बल्कि पूरे देश की जीत होती है। जब भारतीय खिलाड़ी दुनिया भर में अपनी मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त करते हैं, तो यह 140 करोड़ भारतीयों के लिए गर्व का विषय बनता है। यह हमारे देश की प्रगति, नेतृत्व और शक्ति का प्रतीक होता है। खेल न केवल शारीरिक क्षमता का प्रदर्शन करते हैं, बल्कि यह देश की एकता, प्रगति और भाईचारे का भी प्रतीक होते हैं। खेलों के माध्यम से हम अपने देश को दुनिया के सामने एकजुटता, ताकत और साझेदारी के रूप में प्रस्तुत करते हैं।”

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