N1Live National सुप्रीम कोर्ट ने हथियार लाइसेंस मामले में अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर यूपी सरकार से जवाब मांगा
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सुप्रीम कोर्ट ने हथियार लाइसेंस मामले में अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर यूपी सरकार से जवाब मांगा

Supreme Court seeks reply from UP government on the bail plea of ​​Abbas Ansari in arms license case.

नई दिल्ली, 23 जनवरी । सुप्रीम कोर्ट ने माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर सोमवार को यूपी सरकार को नोटिस जारी किया। अब्बास अंसारी पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित तौर पर शूटिंग प्रतियोगिताओं के लिए विदेशी बंदूकें खरीदने का मामला दर्ज किया था।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, संजय करोल और संदीप मेहता की पीठ ने मामले में राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।

नवंबर 2023 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अब्बास द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उसने एनआरएआई (नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया) द्वारा जारी आयात परमिट का उल्लंघन करते हुए दो पिस्तौल, एक राइफल और 6 बैरल और बिना परमिट के 3 अतिरिक्त बैरल वाली एक पिस्तौल आयात किया था।

इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने कहा था कि अब्बास ने एक रिवॉल्वर का विज्ञापन करवाया था और उसके पास 4,431 कारतूस थे।

न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा था कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा विधायक होने के नाते अब्बास से किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में देश के कानूनों का अधिक सम्मान करने की उम्मीद की जाती है।

कथित तौर पर, अब्बास जो एक कुशल निशानेबाज होने का दावा करता है, ने अनुमान लगाया कि उसने लखनऊ में जारी किए गए हथियार लाइसेंस को दिल्ली में स्थानांतरित करवा लिया था और दो अलग-अलग राज्यों में जारी किए गए दोनों लाइसेंसों को दो अलग-अलग यूआईडी पर उपयोग करना जारी रखा।

2019 में अब्बास के खिलाफ लखनऊ के महानगर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419, 420, 467, 468 और 471 के साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंप दी गई।

जांच से पता चला कि अब्बास ने मुख्तार अंसारी के अंतर्राष्ट्रीय संपर्क का इस्तेमाल करते हुए शूटिंग प्रतियोगिताओं के नाम पर कथित तौर पर सिल्वेनिया से अत्याधुनिक हथियार खरीदे, लेकिन हथियारों का इस्तेमाल किसी प्रतियोगिता में नहीं, बल्कि अवैध गतिविधियों में किया गया था।

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