उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को उस याचिका पर विचार करेगा जिसमें चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स मामले में न्यायालय के 26 अप्रैल के फैसले के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के चार घटकों की मूल जली हुई मेमोरी/माइक्रो-कंट्रोलर के सत्यापन के लिए नीति बनाए।
ईवीएम की इकाइयाँ हैं कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट, वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) और सिंबल लोडिंग यूनिट। हरियाणा के पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक करण सिंह दलाल और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार लखन कुमार सिंगला द्वारा दायर याचिका मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अगुवाई वाली पीठ ने 13 दिसंबर को कहा था कि यह मामला उस पीठ (मुख्य न्यायाधीश की) के पास जाना चाहिए जिसने मतपत्रों को फिर से लागू करने की मांग को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मतपत्र प्रणाली की वापसी या ईवीएम के माध्यम से डाले गए मतों का वीवीपीएटी पर्चियों से 100% सत्यापन कराने की मांग वाली जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था, साथ ही उसने चुनाव आयोग को वर्तमान ईवीएम प्रणाली को मजबूत करने के निर्देश भी जारी किए थे।
ईवीएम प्रणाली की सराहना करते हुए इसने कहा था, “ईवीएम महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करते हैं। उन्होंने मतदान की दर को प्रति मिनट चार वोट तक सीमित करके बूथ कैप्चरिंग को प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया है, जिससे मतदान के लिए आवश्यक समय कम हो गया है और इस प्रकार फर्जी वोटों की संख्या पर रोक लगी है।”