August 23, 2025
National

सुप्रीम कोर्ट की झारखंड हाईकोर्ट को सलाह, ‘अदालत अधीनस्थ अफसरों के लिए अभिभावक की तरह’

Supreme Court’s advice to Jharkhand High Court, ‘Court is like a guardian for subordinate officers’

सुप्रीम कोर्ट ने हजारीबाग जिला अदालत में पदस्थापित रही महिला एडीजे (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज) के तबादले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट को उन्हें राहत देने का निर्देश दिया है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, ”हाईकोर्ट को अपने न्यायिक अधिकारियों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए और उनके व्यक्तिगत व पारिवारिक हालात का ख्याल रखना चाहिए। हाईकोर्ट अपने अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों के लिए अभिभावक होता है। ऐसे मामलों को अहम का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।”

याचिकाकर्ता एडीजे अपने बेटे की सिंगल पैरेंट हैं और अनुसूचित जाति वर्ग से आती हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में छह माह की चाइल्ड केयर लीव मांगी थी, लेकिन उन्हें केवल तीन माह की छुट्टी मिली। इसके बाद उनका तबादला दुमका कर दिया गया।

महिला एडीजे ने हाईकोर्ट को दिए गए अभ्यावेदन में अनुरोध किया था कि उन्हें या तो हजारीबाग में ही पदस्थापित रहने दिया जाए या फिर रांची अथवा बोकारो भेजा जाए, ताकि उनके बेटे की पढ़ाई प्रभावित न हो। अभ्यावेदन पर विचार न किए जाने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट को निर्देश दिया, ”याचिकाकर्ता महिला एडीजे का या तो बोकारो तबादला किया जाए या फिर उनके बच्चे के बोर्ड की परीक्षा की समाप्ति तक मार्च-अप्रैल 2026 तक हजारीबाग में ही बने रहने दिया जाए।”

शीर्ष अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट को दो सप्ताह के भीतर आदेश का पालन करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता महिला एडीजे को चाइल्ड केयर लीव आंशिक रूप से स्वीकृत किए जाने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया था और इस मामले में झारखंड सरकार और हाईकोर्ट रजिस्ट्री से जवाब मांगा था।

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