N1Live National सुप्रीम कोर्ट का मदरसों पर रोक लगाने से इनकार, मौलाना अरशद मदनी ने किया स्वागत
National

सुप्रीम कोर्ट का मदरसों पर रोक लगाने से इनकार, मौलाना अरशद मदनी ने किया स्वागत

Supreme Court's refusal to ban madrassas, Maulana Arshad Madani welcomed

लखनऊ, 23 अक्टूबर । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एनसीपीसीआर की उस सिफारिश पर रोक लगा दी थी, जिसमें मदरसों पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अब कोर्ट के इस फैसले का जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने स्वागत किया।

उन्होंने कहा, “हम एक ऐसे समाज में रहते हैं, जो विविधता और सेकुलरिज्म की नींव पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मतलब सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह उस सामाजिक ताने-बाने का भी प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें हर समुदाय को अपने धार्मिक विश्वासों के अनुसार जीने का अधिकार है।”

उन्होंने कहा, “मदरसे मुसलमानों की धार्मिक शिक्षा का केंद्र है। इसे हमेशा से विवादों का विषय बनाया जाता रहा है। कुछ लोग इन्हें देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं, जबकि अन्य इन्हें एक महत्वपूर्ण शिक्षा प्रणाली के रूप में देखते हैं। इतिहास में खासकर 1857 के विद्रोह के बाद मदरसों पर कई तरह की सीमाएं लगाई गईं। लेकिन आज के संदर्भ में जब हम भारत की सेकुलर प्रकृति की बात करते हैं, तो यह ज़रूरी है कि हम हर धार्मिक समूह के अधिकारों का सम्मान करें।”

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय इस बात का संकेत है कि हमें अपने संविधान और उसकी धाराओं का पालन करना चाहिए। अगर हम सेकुलरिज़्म की मूल भावना को नजरअंदाज करेंगे, तो यह सिर्फ एक समुदाय के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए हानिकारक होगा। इससे न केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों का अधिकार प्रभावित होगा, बल्कि यह हमारे समग्र सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर करेगा।”

उन्होंने कहा, “यह ज़रूरी है कि हम एक ऐसा माहौल बनाएं, जहां सभी समुदाय अपने धर्म के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकें और अपनी संस्कृति को जीवित रख सकें। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी को अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखने का अवसर मिले। यह न सिर्फ न्याय का प्रतीक है, बल्कि एक ऐसे समाज की नींव भी है, जहां विविधता का सम्मान किया जाता है।”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले से मदरसों को बड़ी राहत दे दी है। सोमवार को कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिशों पर रोक लगा दी है। दरअसल, एनसीपीसीआर ने कोर्ट से मदरसों को बंद करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया।

Exit mobile version