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हरियाणा के 97 सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री से मिलने का समय मांगा

Teachers of 97 government aided colleges of Haryana asked for an appointment with the Education Minister.

रोहतक, 17 जून राज्य भर के 97 सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के शिक्षक ‘अनदेखा’ महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जबकि वे इन्हें राज्य प्राधिकारियों के समक्ष कई बार उठा चुके हैं।

45% पद खाली पड़े हैं राज्य सरकार सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में नई शिक्षा नीति लागू कर रही है, लेकिन वहां 45 फीसदी से ज्यादा टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के पद खाली पड़े हैं। दयानंद मलिक, अध्यक्ष, एचसीटीए

शिक्षकों के संगठन हरियाणा कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एचसीटीए) ने अब शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा को पत्र लिखकर अपनी समस्या से अवगत कराने के लिए समय मांगा है। फरीदाबाद के बड़खल से विधायक सीमा त्रिखा को लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले शिक्षा मंत्री बनाया गया था।

एचसीटीए के अध्यक्ष दयानंद मलिक ने कहा, “चूंकि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा नए हैं, इसलिए उन्हें हमारी पुरानी मांगों से अवगत कराना हमारा कर्तव्य है। फिलहाल, हमारे संगठन ने शिक्षा मंत्री से लिखित में समय मांगा है। इसके बाद हम सीएम से भी मिलेंगे। वह हमारी समस्याओं को सुनने के लिए कुछ दिनों के भीतर हमें बुला सकती हैं।”

उन्होंने कहा कि एसोसिएशन मुख्य रूप से भर्ती, मकान किराया भत्ता, मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और चिकित्सा सुविधाओं से संबंधित चार मांगें उठा रही है।

मलिक ने कहा, “राज्य सरकार सहायता प्राप्त कॉलेजों में नई शिक्षा नीति (एनईपी) लागू कर रही है, लेकिन वहां शिक्षण (1,290) और गैर-शिक्षण कर्मचारियों (810) के 45 प्रतिशत से अधिक पद खाली पड़े हैं। सहायता प्राप्त कॉलेजों में कर्मचारियों की भारी कमी के बीच एनईपी को कुशलतापूर्वक कैसे लागू किया जा सकता है? इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि भर्ती पर प्रतिबंध हटाया जाए ताकि सभी रिक्त पदों को भरा जा सके। पिछले साल दिसंबर में प्रतिबंध लगाया गया था।”

उन्होंने कहा कि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) के तहत 2019 से राज्य के सभी सरकारी विभागों, विश्वविद्यालयों, बोर्ड, निगमों और सभी सरकारी सहायता प्राप्त पॉलिटेक्निक कॉलेजों के कर्मचारियों के लिए संशोधित मकान किराया भत्ता पहले ही लागू किया जा चुका है, लेकिन सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के कर्मचारी अभी भी इससे वंचित हैं, जबकि इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य अधिकारियों के पास लंबित है।

इसी प्रकार, उन्होंने दावा किया कि सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों को न तो चिकित्सा सुविधा दी जा रही है और न ही मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी (डीसीआरजी) दी जा रही है।

मलिक ने कहा, “केंद्र सरकार ने 2004 में और हरियाणा सरकार ने 2006 में जो नई पेंशन योजना लागू की थी, उसमें डीसीआरजी का लाभ नहीं दिया गया था, लेकिन अगस्त 2016 में केंद्र सरकार ने सभी कर्मचारियों को लाभ बहाल कर दिया। जनवरी 2017 में राज्य सरकार ने भी इस मामले में मुकदमा दायर किया, लेकिन सरकारी सहायता प्राप्त निजी कॉलेजों के कर्मचारियों को अभी तक इस फैसले में शामिल नहीं किया गया है।”

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