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टीईटी शिक्षकों की भर्ती के लिए नहीं, राज्य का खजाना भरने के लिए : सुवेंदु अधिकारी

TET is not for recruitment of teachers, but to fill the state treasury: Suvendu Adhikari

कोलकाता, 16 सितंबर । पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने शनिवार को आरोप लगाया कि राज्य में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती नहीं, बल्कि राज्य का खजाना भरना है।

उनके आरोप पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एग्जामिनेशन (डब्ल्यूबीबीपीई) द्वारा घोषणा किए जाने के कुछ ही दिनों बाद आए हैं कि 2023 के लिए प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी परीक्षा दिसंबर में आयोजित की जाएगी।

यह दावा करते हुए कि चूंकि भर्ती परीक्षाएं आयोजित होने के वर्षों बाद भी वास्तविक भर्ती नहीं होती है, उन्होंने दावा किया कि ऐसी परीक्षाएं राज्य सरकार के लिए एकमुश्त आय अर्जित करने का माध्यम बन गई हैं। इस संबंध में उन्होंने आंकड़ों से भी अपने दावे की पुष्टि की।

“पिछले साल तक, टीईटी परीक्षाओं के लिए एक परीक्षा फॉर्म की कीमत सिर्फ 125 रुपये थी। इस साल से इसे बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है। हर बार औसतन लगभग 7,00,000 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होते हैं। इस प्रकार, उन प्रवेश परीक्षा फॉर्मों को बेचकर सरकार लगभग 28 करोड़ रुपये कमाएगी
परीक्षा प्रक्रिया के संचालन की लागत के रूप में 3 करोड़ रुपये की राशि खर्च करेगी। इस  प्रकार राज्य सरकार 25 करोड़ रुपये की शुद्ध आय अर्जित करेगी। परीक्षाएं होंगी, लेकिन योग्य उम्मीदवारों की वास्तविक भर्ती नहीं होगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि प्रवेश परीक्षा फॉर्म बेचने से होने वाली इस आय का उपयोग, राज्य सरकार के खिलाफ दायर मामलों के कानूनी खर्चों के वित्तपोषण के लिए किया जाएगा।

 

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