चंडीगढ़ की एक अदालत ने पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (पीएसपीसीएल) की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें ईएमटीए कोल लिमिटेड द्वारा 11 साल पहले मध्यस्थ द्वारा उसके पक्ष में सुनाए गए फैसले के क्रियान्वयन के लिए दायर की गई निष्पादन याचिका को खारिज करने की मांग की गई थी। कंपनी का दावा है कि फैसले की राशि 900 करोड़ रुपये से अधिक है।
चंडीगढ़ न्यायालय के समक्ष दायर एक आवेदन में पीएसपीसीएल ने ईएमटीए द्वारा दायर निष्पादन याचिका को खारिज करने की प्रार्थना की थी।
29 मई, 2024 के निर्णय में मध्यस्थ ने पीएसपीसीएल को कोयला क्रशिंग शुल्क/साइजिंग शुल्क, सतही परिवहन शुल्क, कोयले के गैर-अनुरूप रेकों की अस्वीकृति, कोयला चालान का देर से भुगतान और/या रॉयल्टी पर उत्पाद शुल्क और सतही परिवहन शुल्क के संबंध में सीएसटी का भुगतान करने का निर्देश दिया।
ईएमटीए कोल लिमिटेड द्वारा समझौतों के अनुसार मध्यस्थता खंड लागू करने के बाद यह निर्णय घोषित किया गया। ईएमटीए ने अधिवक्ता आनंद छिब्बर और अधिवक्ता अमिताभ तिवारी के माध्यम से निष्पादन याचिका भी दायर की।
पंजाब राज्य विद्युत बोर्ड (पीएसईबी) और ईएमटीए के बीच 2000 में पनम कोल माइंस लिमिटेड नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने के लिए एक समझौता हुआ था। पचवारा कोयला ब्लॉक से पीएसईबी के बिजलीघरों तक कोयले की आपूर्ति और वितरण के लिए पनम और पीएसईबी के बीच एक कोयला खरीद समझौता किया गया था।
ईएमटीए के अनुसार, पीएसपीसीएल विभिन्न मदों में समझौतों के तहत देय भुगतान करने में विफल रही है।