N1Live National 15 हजार किलोग्राम सोने से बना है तमिलनाडु का श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर, दीपावली पर होती है खास पूजा
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15 हजार किलोग्राम सोने से बना है तमिलनाडु का श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर, दीपावली पर होती है खास पूजा

The Sripuram Mahalakshmi Temple in Tamil Nadu is made of 15,000 kilograms of gold, and a special puja is performed during Diwali.

20 अक्टूबर को देशभर में दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है और उनके साथ कुबेर भगवान की भी पूजा होती है। मां लक्ष्मी को धन और संपदा की देवी माना जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में मां लक्ष्मी का ऐसा मंदिर है, जो सोने से बना है और श्रद्धालु दूर-दूर से मां लक्ष्मी के स्वर्ण मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।

तमिलनाडु के वेल्लोर नगर के मलाईकोड़ी पहाड़ों पर स्थित श्रीपुरम महालक्ष्मी का मंदिर बेहद खास है क्योंकि ये मंदिर 15 हजार किलोग्राम शुद्ध सोने से बना है मंदिर को श्री नारायणी पीदम धर्मार्थ ट्रस्ट ने बनाया है और मंदिर की ऊपरी लेयर सोने की चादर से ढकी हुई है। मंदिर का निर्माण साल 2001 में शुरू हुआ था और ये साल 2007 में बनकर पूरा हो गया है। मंदिर एक एकड़ में बना है और मंदिर की वास्तुकला दक्षिण की संस्कृति को अच्छे से दर्शाता है। मंदिर के अंदर श्रीपुरम आध्यात्मिक पार्क का भी निर्माण किया गया है। बताया जाता है कि मंदिर को बनने में 300 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

दीवाली के दिन मंदिर में खास साज-सज्जा और पूजा का आयोजन होता है। मां लक्ष्मी की प्रतिमा सोने से लदी होती है। मां लक्ष्मी के भव्य सोने से लदे रूप को देखने के लिए हर दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। दीपावली के दिन मंदिर में खास पूजा और यज्ञ का आयोजन होता है। भक्त खास तौर पर दीपावली पर धन-धान्य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।

इसके साथ ही मंदिर में खास तरह के सरोवर का निर्माण किया गया है, जिसमें देश भर की सभी पवित्र नदियों का जल मिलाया गया है। इस सरोवर के जल को मनोकामना पूर्ति जल भी कहा गया है। श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर में रात का नजारा देखने लायक होता है। मंदिर को लाइटों से सजाकर रात के समय जलाया जाता है, सोने की चमक और लाइटों की चमक मंदिर की सुंदरता में चार-चांद लगा देती हैं।

ये मंदिर साल के 365 दिन तक खुला रहता है और कभी भी श्रद्धालु आकर मंदिर का दर्शन कर सकते हैं। ध्यान रखने वाली बात ये है कि यहां श्रद्धालु परंपरागत परिधान में ही आ सकते हैं और मंदिर में दर्शन की सेवा निशुल्क है, लेकिन मां की विशेष पूजा के लिए बुकिंग करानी पड़ती है।

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