केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज तीन नए लागू किए गए आपराधिक कानूनों को “21वीं सदी का सबसे बड़ा सुधार” बताया।
शाह ने यहां नव अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को प्रदर्शित करने वाली एक राज्य स्तरीय प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और उसका दौरा किया। उन्होंने कई विभागों में 825 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
सभा को संबोधित करते हुए, शाह ने कहा कि लोग लंबे समय से न्याय को एक विलंबित प्रक्रिया मानते आए हैं, लेकिन नया ढाँचा इसे बदल देगा। उन्होंने कहा, “लोगों की धारणा है कि उन्हें वर्षों तक न्याय नहीं मिलेगा, लेकिन मुझे विश्वास है कि 2026 के बाद, औसतन तीन साल के भीतर, एफआईआर का निपटारा हो जाएगा और न्याय सुनिश्चित होगा।”
उन्होंने नए कानूनों की तुलना ब्रिटिश शासन के दौरान बनाए गए कानूनों से की। शाह ने कहा, “पहले के कानून अंग्रेजों ने अपना शासन बनाए रखने के लिए बनाए थे, न कि भारतीय नागरिकों के कल्याण के लिए। पहले, वैज्ञानिक प्रमाणों के अभाव में हरियाणा में केवल 40% मामलों में ही दोषसिद्धि संभव थी। नए कानूनों के साथ, दोषसिद्धि दर 80% से भी ज़्यादा हो गई है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय देते हुए गृह मंत्री ने कहा, “बिना किसी संदेह के, मैं कह सकता हूँ कि तीन नए आपराधिक कानूनों का लागू होना, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए 21वीं सदी के सुधारों में सबसे बड़ा सुधार है। हमारी पुलिस डंडे की बजाय आंकड़ों से काम कर रही है और थर्ड डिग्री की बजाय वैज्ञानिक साक्ष्यों पर भरोसा कर रही है।”
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