भाजपा नेता हितेश जैन ने बुधवार को आईएएनएस से बात करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति को लेकर उठाए गए सवालों पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अन्य नेता चुनावों में लगातार हार के बाद परेशान हैं। उन्हें अब संविधान, चुनाव आयोग की नियुक्ति और ईवीएम से भी समस्या होने लगी है। जैन ने कहा कि जब आपके पास कोई स्पष्ट एजेंडा नहीं होता, कोई सकारात्मक विचारधारा नहीं होती, तो आप इस तरह की बयानबाजी करते हैं।
हितेश जैन ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी के शासन काल में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति हमेशा सरकार द्वारा की जाती रही है। कांग्रेस सरकार ने इस मामले में कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाए। 2023 में सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और एक समिति का गठन किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने संसद को इस प्रक्रिया में दखल देने का अधिकार दिया और सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से हो।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासनकाल में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति हमेशा पार्टी के एजेंडे के अनुसार की जाती थी और इसका उदाहरण नवीन चावला की नियुक्ति था, जिन्हें कांग्रेस के करीबी माना जाता था। राहुल गांधी और उनकी पार्टी को अब इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहिए, बजाय इसके कि वह इसे सवालों के घेरे में लाकर केवल राजनीति करें। उन्होंने राहुल गांधी और विपक्ष के नेताओं द्वारा उठाए गए ‘पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (पीआईएल) के मामले पर भी सवाल उठाया।
जैन ने कहा कि इस पीआईएल को पेश करने वाले व्यक्ति प्रशांत भूषण के पास अपना व्यक्तिगत एजेंडा है और उनका मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विरोध को बढ़ावा देना है। यह पूरी प्रक्रिया केवल कांग्रेस और विपक्ष के लिए सत्ता में आने का एक रास्ता बनाने की कोशिश है, और सुप्रीम कोर्ट को इस तरह के एजेंडा-आधारित याचिकाओं को खारिज कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों पर दबाव डालने के लिए एक ग्रुप सक्रिय है, जो सार्वजनिक मंचों पर जाकर न्यायपालिका की आलोचना करता है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी इस तरह की याचिकाओं के जरिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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