वाराणसी, 22 दिसंबर। संयुक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर को ध्यान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। ध्यान दिवस की घोषणा के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। काशी की जनता ने भी संयुक्त राष्ट्र की इस घोषणा का स्वागत किया है।
काशीवासियों का मानना है कि इस पहल से न केवल काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दुनिया भर में ध्यान और मानसिक शांति की महत्ता भी प्रकट होगी। काशी की परंपराओं और आध्यात्मिक धरोहर को सम्मानित करते हुए यह कदम एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया है।
एडवोकेट अनुराग पांडे ने कहा कि इस कदम के लिए संयुक्त राष्ट्र को बहुत-बहुत बधाई। योग दिवस की तरह ध्यान दिवस की घोषणा करना स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन पहल है। उनका मानना है कि यह घोषणा बहुत ही फायदेमंद साबित होगी और हम चाहते हैं कि लोग इस दिशा में अधिक आकर्षित हों।
एडवोकेट अवनीश राय ने बताया कि यह भारत के लिए एक बड़ी खुशी की बात है। भारत की परंपराओं को पूरी दुनिया में स्वीकार किया जा रहा है, जो भारत और भारतवासियों के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि आजकल लोगों की दिनचर्या में काफी बदलाव आया है, लोग योग और ध्यान को अपनाने लगे हैं और आध्यात्मिक परंपराओं की स्वीकार्यता बड़े पैमाने पर बढ़ी है।
राजीव राय ने कहा कि यह एक बहुत ही सकारात्मक पहल है। स्वास्थ्य के लिए योग के बाद यह एक और बेहतरीन कदम है। उन्होंने कहा कि 21 दिसंबर को ध्यान दिवस घोषित करना संयुक्त राष्ट्र की एक शानदार पहल है। वहीं, पवन सिंह ने भी इस घोषणा को एक अच्छी पहल बताया और विश्वास व्यक्त किया कि इससे भविष्य में सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे।
संयुक्त राष्ट्र संघ के इस ऐलान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज, विश्व ध्यान दिवस पर, मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वह ध्यान को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और इसकी परिवर्तनकारी क्षमता का अनुभव करें। ध्यान किसी के जीवन में शांति और सद्भाव लाने का एक शक्तिशाली तरीका है, साथ ही हमारे समाज और ग्रह में भी। प्रौद्योगिकी के युग में, ऐप्स और वीडियो हमारी दिनचर्या में ध्यान को शामिल करने में मदद करने के लिए मूल्यवान उपकरण हो सकते हैं।”