रांची, 16 मई । टेंडर कमीशन घोटाले में झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी पर राज्य के सियासी हलकों में जुबानी जंग तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी ने इसे जहां ‘इंडिया’ गठबंधन के भ्रष्टाचार का नया चैप्टर बताया है, वहीं कांग्रेस और झामुमो के नेता इसे सियासी साजिश का नतीजा बता रहे हैं।
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि कांग्रेस के मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने गिरफ्तार कर एक बार फिर से राज्य में आकंठ भ्रष्टाचार की परत खोल दी है। आलमगीर आलम वही शख्स हैं, जिन्होंने अपने मंत्री पद का जी भर कर दुरुपयोग किया।
मरांडी का कहना है कि आलमगीर आलम ने कोरोना काल में सारी मनाही के बावजूद घुसपैठियों को रांची से बाहर भेजा, अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी टेंडर को प्रभावित किया, कमीशनखोरी कर घटिया कार्यों को भी स्वीकृति प्रदान की।
सोशल मीडिया एक्स पर मरांडी ने लिखा, “पिछले साढ़े 4 सालों से झामुमो-कांग्रेस-राजद के ठगबंधन ने जनता का हक़ लूटकर सिर्फ अपनी तिजोरियों को भरा है।“
उन्होंने आलमगीर आलम के विधानसभा अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में सैकड़ों कर्मियों को अवैध रूप से नियुक्त करने के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि गरीब युवाओं के हक़ की नौकरी नेताओं की पैरवी पर बांटी गई, पैसे के लेनदेन की सीडी सामने आई। मामला प्रकाश में आने पर विक्रमादित्य आयोग का गठन कर जांच हुई, जिसमें आलमगीर आलम पर लगे आरोप प्रमाणित भी हुए। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद युवा विरोधी हेमंत सोरेन ने विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के बजाय उसकी समीक्षा के लिए एक और आयोग का गठन कर दिया।
मरांडी ने कहा कि जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का विलाप कर रही झामुमो-कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद जनता को लूटने का कोई अवसर नहीं छोड़ा। पिछले दिनों भारी मात्रा में कैश बरामद होने के बावजूद मुख्यमंत्री द्वारा भ्रष्टाचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं किया जाना अत्यंत निराशाजनक है और प्रमाण है कि वे भी इस लूट के खेल में बराबर के हिस्सेदार हैं।
इधर झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि सवाल यह है कि ऐसी कार्रवाई सिर्फ एनडीए से इतर बाकी दलों की ओर से शासित राज्यों में क्यों हो रही है? हम किसी भी भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं करते, लेकिन जिस तरीके से सियासी विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है, उसे जनता बखूबी देख-समझ रही है। आलमगीर आलम ईडी के समन का सम्मान करते हुए चुनावी व्यस्तता के बीच भी लगातार दो दिन पूछताछ के लिए उपस्थित हुए, लेकिन ऐसे वक्त में उन्हें गिरफ्तार कर लिए जाने से सवाल उठना स्वाभाविक है। इसमें कहीं न कहीं सियासी साजिश की बू आ रही है।