पटना, राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) ने मंगलवार को कहा कि वह भविष्य में कांग्रेस के साथ नाता नहीं रखेंगे। उन्होंने कहा है कि अभी कांग्रेस का जो हाल है, उसमें वह खुद तो डूब ही रही है, मगर वह भी उसके साथ रहेंगे तो वह खुद भी डूब जाएंगे। वैशाली में मीडिया से बातचीत में किशोर ने हाथ जोड़कर कहा, “यह मेरी जीत के ट्रैक रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए जिम्मेदार पार्टी है। इसमें सुधार नहीं हो रहा है और यहां तक कि यह मुझे डुबो भी सकती है। इसलिए, मैं फिर कभी कांग्रेस के साथ काम नहीं करूंगा।”
पीके फिलहाल बिहार में ‘जन सुराज यात्रा’ निकाल रहे हैं। इसके तहत वह प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर यात्रा कर रहे हैं। इसी क्रम में वह फिलहाल वैशाली में थे, जहां उन्होंने यह बड़ा बयान दिया। पीके ने कहा कि 10 साल में उन्होंने जितने भी चुनावों की जिम्मेदारी संभाली है, वे सभी जीते हैं, सिर्फ 2017 में यूपी में कांग्रेस के साथ काम किया और वही चुनाव हार गए।
पीके ने चुनावी रणनीतिकार के तौर पर अपनी सफलताओं को याद करते हुए आगे कहा, “मैं 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से जुड़ा था, फिर 2015 में जेडी-यू के साथ, पंजाब में 2017 में, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के साथ 2019 में, दिल्ली में (अरविंद) केजरीवाल के साथ 2020 में और पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में 2021 में पार्टियों के साथ जुड़ा हुआ था।”
पीके के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मदन मोहन झा ने कहा, “प्रशांत किशोर 2017 में कांग्रेस से जुड़े थे और दुर्भाग्य से उत्तर प्रदेश का चुनाव हार गए। अगर यह कांग्रेस पार्टी को उनके ट्रैक रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए दोषी ठहराने का कारण है, तो फिर मुझे यह पूछना चाहिए कि उन्होंने हाल ही में क्यों दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की और 6 से 7 दिनों तक प्रेजेंटेशन दिया?”