नगर निगम, यमुनानगर-जगाधरी (एमसीवाईजे) ने यमुनानगर और जगाधरी शहरों से निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट (सीएंडडी अपशिष्ट) उठाने का अभियान शुरू किया है। एमसीवाईजे के प्राधिकारियों ने दोनों शहरों को तीन जोनों में विभाजित किया है तथा मलबे/निर्माण अपशिष्ट को वार्ड-वार हटाने के लिए जूनियर इंजीनियरों के फोन नंबर सार्वजनिक कर दिए हैं।
इन नंबरों पर फोन करके जुड़वां शहरों के निवासी अपने आसपास पड़े कंक्रीट के मलबे को हटवा सकते हैं। यमुनानगर में नगर निगम के कर्मचारी जेसीबी मशीन की मदद से कूड़ा उठाते हुए। नगर निगम आयुक्त आयुष सिन्हा ने बताया कि सड़कों, गलियों व भवनों के निर्माण के बाद कुछ कंक्रीट का मलबा वहां पर रह जाता है, जिससे आम लोगों को क्षेत्र से गुजरने में असुविधा होती है।
उन्होंने कहा कि सड़कों पर मलबा होने के कारण दुर्घटनाएं होने का भी डर बना रहता है।
सिन्हा ने कहा, “अब यमुनानगर और जगाधरी के निवासियों को इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। कंक्रीट के मलबे को उठाने के लिए हमने वार्डवार जूनियर इंजीनियरों के फोन नंबर सार्वजनिक कर दिए हैं। लोग उन्हें फोन करके कंक्रीट का मलबा उठवा सकते हैं।”
उन्होंने बताया कि सीएंडडी कचरे को उठाने के लिए तीन जोन बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कार्यकारी अभियंता विकास धीमान तीनों जोन में कंक्रीट मलबे को उठाने की निगरानी करेंगे।
उन्होंने कहा, “मैंने सभी जूनियर इंजीनियरों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे हर निवासी के फोन कॉल को गंभीरता से लें और उनकी समस्याओं का समाधान करें। काम में लापरवाही बरतने वाले इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि कंक्रीट के मलबे को उठाने के बाद उसका वजन करवाया जाए तथा गुलाब नगर, गधौली और औरंगाबाद क्षेत्र के निचले इलाकों में उसका निपटान किया जाए।
सिन्हा ने कहा, ”अधिकारियों को कंक्रीट के मलबे के वजन का रिकॉर्ड रखने के लिए कहा गया है।” नगर निगम ने वार्ड 1 से 7 तक जोन-I, वार्ड 8 से 15 तक जोन-II और वार्ड 16 से 22 तक जोन-III बनाया है।
तीनों जोन में इस काम के लिए तीन अर्थमूविंग मशीनें और करीब 10 ट्रैक्टर-ट्रेलर लगाए गए हैं। सिन्हा ने बताया, “कंक्रीट कचरे को उठाने के लिए करीब 20 कर्मचारी भी लगाए गए हैं। एमसीवाईजे द्वारा जारी किए गए नंबरों पर शिकायत मिलते ही कर्मचारी बताए गए स्थान पर जाकर मलबा उठाएंगे।”