सोमवार को फरीदकोट पुलिस द्वारा एक सामाजिक कार्यकर्ता को कथित तौर पर अवैध हिरासत में लिए जाने के बाद व्यापक जनाक्रोश भड़क उठा। जन दबाव के आगे झुकते हुए पुलिस ने कार्यकर्ता शंकर शर्मा को शाम को रिहा कर दिया।
पिछले एक साल से शर्मा जल जीवन बचाओ मोर्चा के बैनर तले इलाके में सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। मोर्चा इंदिरा गांधी और सरहिंद फीडर नहरों की कंक्रीट लाइनिंग का विरोध कर रहा है, जो जिले में समानांतर बहती हैं।
फरीदकोट शहर और आस-पास के गांवों के निवासी कई पर्यावरणीय और सामुदायिक मुद्दों का हवाला देते हुए नहरों की कंक्रीट लाइनिंग का विरोध कर रहे हैं। इस प्रथा के खिलाफ मोर्चा का मुख्य तर्क यह है कि कंक्रीट पानी को प्राकृतिक रूप से जमीन में रिसने से रोकता है।
यह रिसाव भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो क्षेत्र के लोगों के लिए पीने के पानी का प्राथमिक स्रोत है। इस प्राकृतिक निस्पंदन प्रक्रिया के बिना, भूजल स्तर गिर सकता है, जिससे संभावित रूप से पानी की कमी हो सकती है और स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है। इससे नहरों के आसपास का प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र भी बाधित होता है।
पिछले वर्ष मार्च में जल संसाधन विभाग ने निवासियों के भारी विरोध के बाद 167 किलोमीटर लम्बी इंदिरा गांधी नहर के 10 किलोमीटर हिस्से की पुनर्लाइनिंग पर रोक लगा दी थी।
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