सैनवाला में एक सरकारी स्कूल की मिड-डे मील योजना में मामूली सी चोरी के कारण हुई गड़बड़ी के करीब एक दशक बाद आखिरकार न्याय हुआ है। पांवटा साहिब की एक स्थानीय अदालत ने दो आरोपियों – अक्षय उर्फ बोदा और अर्जुन, दोनों माजरा के निवासी – को पांच साल की कैद और 7,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
मामला नवंबर 2015 का है, जब सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सैनवाला के तत्कालीन प्रधानाध्यापक ने माजरा पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि पिछली रात स्कूल परिसर से मिड-डे मील बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसोई के बर्तन चोरी हो गए थे।
शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने जांच शुरू की। मटक माजरी रोड के पास गश्त के दौरान अधिकारियों ने दो लोगों को रोका और उनकी तलाशी ली, जो एक सफेद बोरी लेकर जा रहे थे। बोरी के अंदर चोरी किए गए बर्तन थे, जिन्हें बाद में हेडमास्टर ने स्कूल की संपत्ति के रूप में पहचाना।
सहायक जिला न्यायवादी गौरव शर्मा के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने नौ गवाहों के बयान पेश किए, जिन्होंने मामले को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साक्ष्यों की जांच और दलीलें सुनने के बाद, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 1, पांवटा साहिब की अदालत के न्यायाधीश विकास गुप्ता ने फैसला सुनाया।
अदालत ने दोनों आरोपियों अक्षय और अर्जुन को भारतीय दंड संहिता की धारा 457 (रात में घर में सेंधमारी) के तहत दोषी पाया और उन्हें पांच साल की जेल और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा, उन्हें धारा 380 (घर में चोरी) के तहत दोषी ठहराया गया और 2,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई।