January 8, 2025
National

क्षेत्रीय विकास और सामाजिक प्रगति का प्रतीक, जम्मू-कश्मीर के विकास की नई दिशा

A symbol of regional development and social progress, a new direction for the development of Jammu and Kashmir

च‍िनाब जो पहले केवल एक नदी के नाम से जाना जाता था, अब एक विश्व प्रसिद्ध नाम बनने जा रहा है। भारतीय रेलवे ने नए साल की शुरुआत में इस खबर को साझा किया है कि जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चि‍नाब रेलवे ब्रिज ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह ब्रिज न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बन चुका है। इस ब्रिज ने भारत के मुकुट में एक और नया पंख जोड़ने का काम किया है, जो भविष्य में क्षेत्रीय विकास और सामाजिक प्रगति का महत्वपूर्ण स्रोत बनेगा।

जम्मू के रियासी जिले में स्थित चि‍नाब रेलवे ब्रिज का निर्माण उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल प्रोजेक्ट के अंतर्गत हुआ है। इस परियोजना की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र के स्थानीय इलाकों में भी विकास की प्रक्रिया तेज हो गई है। चि‍नाब ब्रिज का निर्माण केवल एक निर्माण कार्य नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी एक अहम कदम साबित हो रहा है। रियासी ज़िले के कोरी, बकल और सलाल जैसे गांवों में विकास की लहर चल पड़ी है, और स्थानीय लोग इस बदलाव को लेकर उत्साहित हैं। उन्हें विश्वास है कि इससे न केवल रोजगार के अवसर मिलेंगे, बल्कि पूरे क्षेत्र में समृद्धि आएगी।

चि‍नाब ब्रिज के निर्माण के साथ-साथ इलाके में आधारभूत संरचनाओं में भी सुधार हुआ है। पहले जो कच्ची सड़कें थी, अब उन्हें पक्का कर दिया गया है। इससे गांव वालों को रियासी और पास के शहरों तक पहुंचने में बड़ी सुविधा हो रही है। इसके अलावा, क्षेत्र में पक्के मकान और बच्चों के लिए स्कूलों का निर्माण भी शुरू हो चुका है। सलाल गांव के एक सरकारी स्कूल में लगभग 100 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जो चि‍नाब ब्रिज से केवल 15-20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस तरह के विकास कार्यों से न केवल स्थानीय लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है, बल्कि क्षेत्र के सामाजिक ढांचे में भी मजबूती आई है।

सियालकोट के रहने वाले पुरुषोत्तम सिंह ने बताया कि मैंने चार साल इस परियोजना पर काम किया है और मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा। हां, इस काम में बहुत सी कठिनाइयां आईं। ऊपर बहुत तेज़ हवा चलती थी और ठंडी हवाएं आती थीं, साथ ही ऊंचाई भी बहुत ज्यादा थी। इसलिए काम करने में थोड़ा कठिनाई आई, लेकिन कंपनी ने हमें पूरी सुरक्षा और अच्छी सुविधाएं दी, जिससे काम करना सुरक्षित रहा। थोड़ी बहुत मुश्किलें थीं, लेकिन सब कुछ ठीक रहा। हमें बहुत खुशी हो रही है कि यह प्रोजेक्ट सफल हुआ। हम सरकार का बहुत धन्यवाद करते हैं, क्योंकि हमारे इलाके में इतना बड़ा रेलवे ब्रिज बना है। अब बहुत जल्दी वंदे भारत ट्रेन भी शुरू होने वाली है, जिससे बहुत खुशी मिल रही है। इससे रोजगार के नए अवसर खुलेंगे और जैसे-जैसे ट्रेन चलेगी, पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जिससे लोगों को रोजगार मिलने के मौके मिलेंगे।

शिव सिंह ठाकुर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि मैंने दो कनाल जमीन सरकार को दी है। सरकार ने आदेश निकाला था कि यहां हम कुछ उपकरण रखेंगे, लेकिन आज तक कुछ नहीं किया। ना तो उन्होंने हमें लिखित रूप में कुछ दिया और ना ही हमारे साथ कुछ किया। यह पिछले दस सालों से चल रहा है, इस दौरान सरकार से 4 लाख रुपये मिला।

उन्होंने आगे कहा कि हमें खुशी है कि रेलवे यहां आएगी, लोग आएंगे-जाएंगे, लेकिन हमारा लिंक रोड अब तक नहीं बना। यह रोड हमारा था, लेकिन अभी तक इसे नहीं बनाया गया। कम से कम चार किलोमीटर का लिंक रोड बनता, तो हम भी जुड़ जाते। इस परियोजना से हमारे इलाके के लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन कुछ समस्याएं अभी भी हैं। अगर ट्रेन चलेगी तो पर्यटन बढ़ेगा, लेकिन हमारी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई हैं। इस रेलवे प्रोजेक्ट से हमारे इलाके के लोगों को रोजगार मिलेगा। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को भी रोजगार मिले, क्योंकि हमारे पास जमीन कम है और इस क्षेत्र में ज्यादा विकास की आवश्यकता है।

आपको बताते चलें चि‍नाब रेलवे ब्रिज की लंबाई 1315 मीटर है और यह ब्रिज चि‍नाब नदी के स्तर से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस ब्रिज के निर्माण में करीब 28,660 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया गया है। इस ब्रिज का निरीक्षण नए साल के शुरुआत में पूरा हो चुका है और अब बस यात्री ट्रेनों के संचालन का इंतजार है। यह ब्रिज न केवल तकनीकी दृष्टि से एक अद्वितीय संरचना है, बल्कि यह इस क्षेत्र की परिवहन सुविधाओं को भी बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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