लुधियाना (पंजाब), 12 अप्रैल, 2025: आने वाली पीढ़ियों के लिए राज्य के भूजल को बचाने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शनिवार को 1 जून से धान की जोनवार खेती शुरू करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने आज यहां सरकार किसान मिलनी के दौरान उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि हमने राज्य को तीन जोनों में बांटा है और इन तीन जोनों के अंतर्गत आने वाले जिलों में धान की खेती 1 जून, 5 जून और 9 जून से शुरू होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश का अन्न भंडार है क्योंकि राष्ट्रीय खाद्य भंडार में 45% अनाज का योगदान पंजाब का है। हालांकि, उन्होंने दुख जताया कि धान के मौसम के 70 दिनों में पंजाब नौ गोविंद सागर झीलों के बराबर पानी निकालता है, जो बहुत बड़ी मात्रा है।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि इतना पानी बाहर निकालकर हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को पानी से वंचित कर देंगे जो हमारे अस्तित्व का मूल तत्व है।
मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक किलो धान पैदा करने के लिए 4000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों के मूल अस्तित्व को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है, जिसे बचाने के लिए राज्य सरकार ठोस प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में धान की खेती 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर हो गई है, जिसके कारण खेतों की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत भी बढ़ गई है।भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार के सख्त प्रयासों के कारण भूजल स्तर में वृद्धि होनी शुरू हो गई है और केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें एक मीटर की वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अग्रणी पहल करते हुए राज्य सरकार ने एक जून से धान की खेती शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए राज्य को तीन जोन में बांटा गया है।
उन्होंने कहा कि फरीदकोट, बठिंडा, फाजिल्का, फिरोजपुर और श्री मुक्तसर साहिब जिलों में धान की खेती 1 जून से शुरू होगी, गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरन तारन, रूपनगर, एसएएस नगर (मोहाली), श्री फतेहगढ़ साहिब और होशियारपुर जिलों में 5 जून से शुरू होगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि शेष जिलों लुधियाना, मोगा, जालंधर, मानसा, मालेरकोटला, संगरूर, पटियाला, बरनाला, शहीद भगत सिंह नगर में और कपूरथला में यह 9 जून से शुरू होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे धान के सीजन के दौरान राज्य के सभी जिलों में बिजली आपूर्ति के लिए तत्काल बोझ कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को अक्टूबर में अधिक नमी के कारण अपनी धान की फसल बेचने में होने वाली परेशानियों से बचने में मदद मिलेगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य में धान की फसल की जोनवार खेती को सुनिश्चित किया जाएगा और इस उद्देश्य के लिए पंजाब सरकार द्वारा आवश्यक योजना और प्रबंध पहले ही किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पानी की अधिक खपत करने वाली धान की किस्म पुस्सा 44 की खेती पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इस किस्म की खेती में लगभग 152 दिन लगते हैं और प्रति एकड़ 64 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है तथा सरकार को बिजली के लिए 7500 रुपए प्रति एकड़ खर्च करना पड़ता है। इसी तरह भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस किस्म की खेती के लिए किसानों को लगभग 19000 रुपए प्रति एकड़ खर्च करना पड़ता है तथा यह किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले 10 प्रतिशत अधिक पराली पैदा करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार धान के सीजन के दौरान किसानों को कम से कम आठ घंटे नियमित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में नहरी पानी की आपूर्ति उपलब्ध है, वहां रात के समय आठ घंटे बिजली आपूर्ति की जाएगी। भगवंत सिंह मान ने आगे कहा कि पिछली सरकारों ने कभी भी भूजल को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया और पांच नदियों वाली इस धरती पर अंतिम छोर पर रहने वाले किसानों को कभी पानी नहीं मिला।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्यभार संभालने के बाद उनकी सरकार ने राज्य में 15947 जलमार्गों को पुनर्जीवित किया है, जिसके कारण दूरदराज के गांवों में भी पानी पहुंच रहा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि जब उन्होंने कार्यभार संभाला था, उस समय राज्य में केवल 21 प्रतिशत नहरी पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए किया जा रहा था। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह बहुत गर्व और संतुष्टि की बात है कि आज 75 प्रतिशत नहरी पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नहरी पानी सिंचाई के लिए वरदान है क्योंकि यह खनिज युक्त पानी एक तरफ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और दूसरी तरफ भूजल पर दबाव कम करता है। उन्होंने कहा कि यह बिजली क्षेत्र पर बोझ भी कम करता है जिससे राज्य सरकार हर क्षेत्र को निर्बाध बिजली प्रदान करने में सक्षम हो जाती है। भगवंत सिंह मान ने आगे कहा कि राज्य सरकार किसानों को गेहूँ/धान की फसल के चक्र से बाहर निकालने के लिए मक्का जैसी वैकल्पिक फसलों पर उचित विपणन और एमएसपी प्रदान करने के लिए सख्त प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसानों को किसी भी तरह की असुविधा से बचाने के लिए इस मौसम में डी.ए.पी. और यूरिया की कालाबाज़ारी नहीं होने दी जाएगी। कृषि को लाभदायक उद्यम बनाने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ वचनबद्धता को दोहराते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि किसानों को मौजूदा कृषि संकट से उबारने के लिए उनकी सक्रिय भागीदारी समय की मांग है। उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ती लागत और घटते मुनाफे के कारण कृषि अब लाभदायक उद्यम नहीं रह गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कारण राज्य के किसान दोराहे पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि इस संवाद का एकमात्र उद्देश्य निर्णयकर्ताओं और हितधारकों के बीच अंतर को कम करना है ताकि किसानों की जरूरतों के अनुसार नीतियां बनाई जा सकें। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब देश में पैदा होने वाले कुल बासमती का 80 प्रतिशत उत्पादन करता है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस उत्पादन को और बढ़ाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे एक ओर बासमती उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर किसानों की आय में भी वृद्धि होगी तथा पानी के रूप में बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन की बचत होगी।
भगवंत सिंह मान ने किसानों से राज्य भर में बासमती की खेती अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी कि उन्हें बासमती की खेती में किसी भी प्रकार का नुकसान न हो। उन्होंने यह भी कहा कि बासमती की खेती पर सुनिश्चित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
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