N1Live Uttar Pradesh सनातन धर्म के ध्वज वाहक अखाड़ों के बाद महाकुंभ क्षेत्र में दिखा शंकराचार्यों के छावनी प्रवेश का भव्य वैभव
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सनातन धर्म के ध्वज वाहक अखाड़ों के बाद महाकुंभ क्षेत्र में दिखा शंकराचार्यों के छावनी प्रवेश का भव्य वैभव

After the flag bearing Akharas of Sanatan Dharma, the grand splendor of Shankaracharya's entry into the camp was seen in the Mahakumbh area.

महाकुंभ नगर, 10 जनवरी । संगम तीरे बसे महाकुंभ नगर में सनातन धर्म की सभी धाराओं और संप्रदायों का संगम हो रहा है। सनातन के ध्वज वाहक अखाड़ों के बाद अब शंकराचार्यों का प्रवेश भी महाकुंभ नगर में हो गया है। कुंभ क्षेत्र में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी की प्रवेश यात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों संतों ने हिस्सा लिया।

महाकुंभ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण अखाड़ों के प्रवेश के बाद अब चारों पीठ के शंकराचार्यों के प्रवेश का सिलसिला भी शुरू हो गया है। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की प्रवेश मंगलम यात्रा शहर के रामबाग से निकाली गई। पत्थरचट्टी राम बाग से शुरू हुई इस प्रवेश यात्रा में हजारों की संख्या में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत और वेद बटुक ब्रह्मचारी भी शामिल हुए।

प्रवेश मंगलम यात्रा में सबसे आगे शंकराचार्य की धर्म पताका और इसके पीछे आदि शंकराचार्य की सवारी चल रही थी। उनके पीछे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का भव्य रथ चल रहा था, जिसमें सभी दिशाओं से आए मठों, महंत और श्री महंत और संत मौजूद रहे।

शंकराचार्य की इस प्रवेश मंगलम यात्रा में संपूर्ण भारत की संस्कृति जीवंत हो गई। प्रवेश यात्रा में उत्तर, दक्षिण और पूर्व-पश्चिम सभी दिशाओं की लोक संस्कृति और लोक संगीत की झलक भी देखने को मिली। उत्तराखंड, सिक्किम, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक से आए कलाकारों ने अपनी स्थानीय नृत्य कला और संगीत की प्रस्तुति दी तो यात्रा में दक्षिण भारत और महाराष्ट्र से आए स्थानीय ड्रम बैंड की प्रस्तुति ने सबका दिल जीत लिया। महाराष्ट्र के शिवा ढोल बैंड में एक साथ कई दर्जन ढोल की थाप से आसपास का इलाका गूंज उठा। यात्रा में डमरू नृत्य में भी शिव भक्त जमकर झूमे और नाचे।

शंकराचार्य की प्रवेश मंगलम यात्रा का शहर के 108 स्थानों पर स्थानीय नागरिकों ने फूलों से स्वागत किया। प्रवेश यात्रा पत्थरचट्टी से मलाका, सब्जी मंडी, मोती महल चौराहा, चमेलीबाई धर्मशाला, जानसेनगंज चौक, घंटा घर, बहादुर गंज, कीटगंज होते हुए बांध के रास्ते महाकुंभ मेला में प्रवेश करते हुए शंकराचार्य शिविर में पहुंची।

यात्रा में शामिल बोध गया मठ के स्वामी सत्यानंद गिरी का कहना है कि सभी संतों के बीच इस प्रवेश यात्रा के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने के लिए सभी लोग आगे आएं। प्रवेश मंगलम यात्रा में कई रथों में भी इस संकल्प को व्यक्त करने वाले पोस्टर लगाए गए थे।

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