शिमला, 3 सितंबर विधानसभा में सरकार और विपक्ष के बीच चल रहा गतिरोध आज और बढ़ गया, जब कार्यवाही शुरू होने से पहले व्यवस्था का प्रश्न उठाने से मना किए जाने पर नाराज विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया।
सदन नियमों के अनुसार चलेगा: अध्यक्ष स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि सदन नियमों के अनुसार चलेगा और जो नियम अनुमति नहीं देते, उसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। पठानिया ने कहा, “मेरा हमेशा से प्रयास रहा है कि सभी सदस्यों, खासकर विपक्ष को अधिक से अधिक समय दिया जाए, ताकि सदन में जनहित के महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जा सकें।”
भाजपा के अनियंत्रित व्यवहार की निंदा करते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि नियम 67 के तहत केवल अत्यंत जरूरी मामले ही उठाए जा सकते हैं और भाजपा ने केवल सनसनी फैलाने के लिए इस नियम के तहत प्रस्ताव पेश किया है।
सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई, क्योंकि स्पीकर ने भाजपा विधायक विपिन परमार को राज्य की वित्तीय स्थिति पर बहस के लिए स्थगन प्रस्ताव देने से मना कर दिया। उन्होंने इस आधार पर स्थगन प्रस्ताव मांगा था कि वह प्रश्नकाल के बाद ही इस मुद्दे को उठा सकते हैं। पठानिया द्वारा विपक्ष के अनुरोध को अस्वीकार करने के बावजूद, विपक्ष के नेता सहित भाजपा विधायक अपनी मांग पर अड़े रहे और नारेबाजी करते रहे।
सदन में पूरी तरह से अफरा-तफरी मच गई क्योंकि शोरगुल के कारण कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। जब स्पीकर ने प्रश्नकाल शुरू करने का आदेश दिया तो भाजपा विधायक नारेबाजी करने लगे। अंत में पूरा विपक्ष सदन से बाहर चला गया।
विधानसभा में हंगामे के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि भाजपा का यह अभद्र व्यवहार विपक्ष के भीतर की आपसी कलह और सत्ता संघर्ष का नतीजा है, जिसका व्यवहार बेहद गैरजिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा, “सरकार विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने को तैयार है, लेकिन विपक्ष केवल हंगामा और वॉकआउट करके राजनीतिक लाभ लेने में लगा हुआ है।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “यह पहली बार है कि मानसून सत्र में 10 बैठकें होंगी, ताकि सदस्य जनहित और अपने निर्वाचन क्षेत्रों से जुड़े मुद्दे उठा सकें, लेकिन भाजपा केवल सुर्खियाँ बटोरने के लिए हंगामा करना चाहती थी। वे सदन का कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं।”
स्पीकर के खिलाफ विपक्ष द्वारा किए गए व्यक्तिगत हमलों की निंदा करते हुए संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि भाजपा द्वारा किया गया वॉकआउट राजनीतिक नौटंकी के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, “विपक्ष वास्तविक मुद्दों को उठाने में दिलचस्पी नहीं रखता है, जबकि स्पीकर द्वारा भाजपा विधायकों को बहुत अधिक समय दिया गया है। सरकार रचनात्मक विपक्ष के लिए तैयार है।”
भाजपा के अनियंत्रित व्यवहार की निंदा करते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि नियम 67 के तहत केवल अति आवश्यक मामले ही उठाए जा सकते हैं और भाजपा ने केवल सनसनी फैलाने के लिए इस नियम के तहत प्रस्ताव पेश किया है।
स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि सदन नियमों के अनुसार चलेगा और जो नियम अनुमति नहीं देते, उसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, “मेरा हमेशा से प्रयास रहा है कि सभी सदस्यों, खासकर विपक्ष को अधिक से अधिक समय दिया जाए, ताकि सदन में जनहित के महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जा सकें।”
उन्होंने कहा कि आज सुबह विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर, विपिन सिंह परमार, सुख राम चौधरी, सतपाल सत्ती व अन्य की ओर से नियम 67 के तहत कर्मचारियों के वेतन भत्ते व पेंशन का भुगतान न करने तथा वित्तीय दिवालियापन से संबंधित स्थगन प्रस्ताव का नोटिस प्राप्त हुआ।
उन्होंने बताया कि 28 अगस्त को विधायक केवल सिंह पठानिया व दो अन्य की ओर से नियम 130 के तहत प्रदेश की वित्तीय स्थिति के संबंध में नोटिस प्राप्त हुआ था, जिसे आवश्यक कार्रवाई के लिए सरकार को भेजा गया था और इसका जवाब भी आ गया है।
पठानिया ने कहा कि ऐसी स्थिति में राज्य की वित्तीय सेहत के मुद्दे पर सदन में नियम 130 के तहत ही चर्चा हो सकती है। उन्होंने इस संबंध में विपक्षी सदस्यों द्वारा दिए गए कार्य स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया।