चंडीगढ़, 3 सितंबर पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा है कि उन्होंने मंडी की सांसद कंगना रनौत की किसान आंदोलन पर टिप्पणी के बाद तुरंत अपनी पार्टी आलाकमान से बात की थी और अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।
ग्रेवाल ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से फोन पर बात की है हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना ने हाल ही में हिंदी दैनिक भास्कर के साथ अपने साक्षात्कार की एक क्लिप पोस्ट की थी, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि भारत में “बांग्लादेश जैसी स्थिति” पैदा हो सकती थी, लेकिन देश के मजबूत नेतृत्व के कारण ऐसा नहीं हो सका।
इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि अब निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान शव लटक रहे थे और बलात्कार हो रहे थे।
ग्रेवाल ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा, “पहली बात तो यह है कि सिर्फ सांसद बन जाने से कोई नेता नहीं बन जाता…(पार्टी की) विचारधारा से जुड़ना एक दिन में नहीं होता। मैं 35 साल से अधिक समय से भाजपा के साथ हूं।”
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ग्रेवाल ने कहा, “जब उन्होंने यह कहा (टिप्पणी की), तो मैंने तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनका विरोध किया कि यह हमारी पार्टी की विचारधारा नहीं है।”
भाजपा ने पिछले सप्ताह किसान आंदोलन पर रनौत की अपमानजनक टिप्पणी की निंदा की थी और उनके विचारों से असहमति व्यक्त की थी तथा स्पष्ट किया था कि उन्हें पार्टी के नीतिगत मामलों पर टिप्पणी करने की न तो अनुमति है और न ही वह इसके लिए अधिकृत हैं।
रनौत की अभी रिलीज नहीं हुई फिल्म ‘इमरजेंसी’ के बारे में ग्रेवाल ने कहा कि इस पर फैसला सेंसर बोर्ड को करना है। इस फिल्म के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने फिल्म के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजा है। एसजीपीसी ने आरोप लगाया है कि फिल्म में सिखों के चरित्र और इतिहास को गलत तरीके से पेश किया गया है।
उन्होंने कहा, “सेंसर बोर्ड का काम है कि वे फिल्म को पास करें या नहीं, पार्टी का उससे कोई लेना-देना नहीं है।”
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी बात यह है कि जो कोई भी खालसा या पंजाब के खिलाफ बोलेगा, भाजपा का हर कार्यकर्ता उसका विरोध करेगा।’’
इस बीच, 1984 के सिख विरोधी दंगों के मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए ग्रेवाल ने दावा किया कि कांग्रेस ने दंगों में शामिल लोगों को ‘सम्मानित’ किया था, जबकि भाजपा सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि दंगों के पीछे जो लोग थे, उन्हें सजा मिले।