February 7, 2025
Haryana

बीरेंद्र सिंह कहते हैं, हरियाणा में पुनर्जीवित होने के लिए कांग्रेस को ‘व्यक्ति विशेष’ से आगे बढ़ना होगा

Birendra Singh says Congress will have to move beyond ‘individuals’ to revive in Haryana

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तीखा हमला करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि पार्टी के पुनरुद्धार के लिए इसे सिर्फ एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द केंद्रित होने से मुक्त होकर जनता की पार्टी बनना होगा।

साथ एक साक्षात्कार में बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की लगातार तीसरी हार के लिए मजबूत जमीनी ढांचे की अनुपस्थिति को जिम्मेदार ठहराया, जिसके कारण पार्टी कार्यकर्ता असंबद्ध और प्रतिबद्धताहीन हो गए।

कांग्रेस को एक व्यक्ति द्वारा नियंत्रित पार्टी नहीं होना चाहिए। अगर यह जनता की पार्टी होती तो नतीजे अलग होते।

52 साल के राजनीतिक अनुभव वाले वरिष्ठ नेता ने कहा, “कांग्रेस का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि केवल एक ही व्यक्ति के पास सारी शक्ति हो। कांग्रेस एक खास व्यक्ति की पार्टी बनकर रह गई है। अगर यह जनता की पार्टी होती तो बेहतर नतीजे आते।”

अक्टूबर 2024 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 37 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 48 सीटें मिलीं। सिंह ने तर्क दिया कि पार्टी की विफलता अंदरूनी कलह और कमजोर नेतृत्व के कारण हुई।

उन्होंने कहा, “चुनाव से पहले बड़ी संख्या में लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया था। लेकिन उचित संगठन न होने के कारण टिकट न मिलने पर कई लोग बगावत कर बैठे। पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पड़ी।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे हुड्डा की बात कर रहे थे, तो सिंह ने स्पष्ट कहा: “यह स्पष्ट है कि हुड्डा पिछले 10-15 वर्षों से हरियाणा कांग्रेस के नंबर एक नेता रहे हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन यदि वह ‘व्यक्ति विशेष’ कांग्रेस को अपने पास ही रखता है या जब तक संभव हो, उसे नियंत्रित करता है, तो इससे अच्छे परिणाम नहीं मिलेंगे।”

अपना रुख स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उन्हें अन्य नेताओं को जगह देनी चाहिए, लेकिन उन्हें आम लोगों को जगह देनी चाहिए। पार्टी के कार्यकर्ताओं को पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए, न कि केवल उसके नेताओं के प्रति।”

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान पर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा कि पार्टी की हार के बाद उन्हें कम से कम इस्तीफे की पेशकश करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, “इससे उनका कद बढ़ जाता। ऐसा लगता है कि वह दुखी हैं, लेकिन जिम्मेदारी लेने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।”

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष या विपक्ष के नेता का चयन जाति के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि वह सभी समुदायों को स्वीकार्य होना चाहिए।

ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोपों पर टिप्पणी करते हुए सिंह ने कहा, “हमें लोगों को यह समझाना होगा कि केवल कुछ लोकतांत्रिक देश ही ईवीएम का इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका और जर्मनी में अभी भी बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है। ईवीएम का आविष्कार इंसानों ने किया है, इसलिए इंसान ही उससे छेड़छाड़ भी कर सकता है। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए हमें बैलेट पेपर से वोट करने की अनुमति मिलनी चाहिए।”

उचाना कलां से अपने बेटे बृजेंद्र सिंह की महज 32 वोटों से हार पर उन्होंने कहा, “कांग्रेस के बागियों को हर तरफ से समर्थन मिला…कांग्रेस ने कांग्रेस को हराया। यह सिर्फ बृजेंद्र सिंह की बात नहीं है, बल्कि पार्टी ने बागियों के कारण 15-20 सीटें खो दी हैं।”

सिंह ने टिकट वितरण से पहले पार्टी द्वारा कराए गए आंतरिक सर्वेक्षणों की भी आलोचना की और कहा, “जब कोई संगठन ही नहीं है, तो आप सही फीडबैक कैसे प्राप्त कर सकते हैं? एक किराए की एजेंसी आपकी इच्छा के अनुसार परिणाम देगी।”

जेजेपी और आईएनएलडी को राजनीतिक रूप से कमजोर बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी क्षेत्रीय आकांक्षाएं विफल हो गई हैं। हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि वोटों के बिखराव को रोकने के लिए छोटी पार्टियों को कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहिए।

उन्होंने कहा, “लोग वोटों का विभाजन नहीं चाहते हैं… ये छोटी पार्टियां भी भाजपा के साथ गठबंधन की कीमत जानती हैं। भगवा पार्टी उनका इस्तेमाल करती है और फिर उन्हें छोड़ देती है।”

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