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पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस फैसले को समझना जो पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) यह सुनिश्चित करें कि पीड़ितों या शिकायतकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर आपराधिक जांच की प्रगति के बारे में अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ द्वारा जारी इस फैसले का उद्देश्य पुलिस प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाना, जवाबदेही को मजबूत करना तथा आपराधिक न्याय प्रक्रिया में पीड़ितों के अधिकारों को सुदृढ़ बनाना है।

नियमित अपडेट पीड़ितों को उनके मामलों की स्थिति को समझने में मदद करते हैं, जिससे वे लंबी और जटिल न्याय यात्रा में शामिल रहते हैं। न्यायमूर्ति बरार न्यायिक प्रक्रिया में पीड़ितों या शिकायतकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हैं, और जोर देते हैं कि जांच के दौरान उनके अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।

इस फैसले में निष्पक्ष जांच का अधिकार पीड़ितों और समाज को भी दिया गया है, साथ ही आरोपी के अधिकारों पर अत्यधिक जोर देने के खिलाफ चेतावनी भी दी गई है। पीठ ने कहा कि जबकि अक्सर आरोपी पर ही अधिक ध्यान दिया जाता है, पीड़ितों के भी अधिकार हैं जिन्हें न्याय की तलाश के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

फैसले में इस बात पर जोर दिया गया है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच आपराधिक अभियोजन और न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास का आधार है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि पीड़ितों को जांच की प्रगति के बारे में सूचित रखने से यह सुनिश्चित होता है कि वे प्रक्रिया का अभिन्न अंग बने रहें।

 

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