आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (आरबीआई एमपीसी) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 20 आधार अंक कम करके 6.5 प्रतिशत कर दिया है जो कि पहले 6.7 प्रतिशत था। इसकी वजह अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के कारण पैदा हुई वैश्विक अनिश्चितता है। यह जानकारी आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को दी।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अनिश्चितता अपने आप में व्यवसायों और परिवारों के निवेश और खर्च के निर्णयों को प्रभावित करके विकास को धीमा कर देती है। दूसरा, व्यापारिक संघर्ष के कारण वैश्विक विकास में कमी घरेलू विकास को बाधित करेगी। तीसरा, उच्च टैरिफ का शुद्ध निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
केंद्रीय बैंक के मुताबिक, जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रह सकती है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इन आधारभूत अनुमानों के आसपास जोखिम समान रूप से संतुलित हैं, क्योंकि वैश्विक अस्थिरता में हाल की वृद्धि के कारण अनिश्चितताएं उच्च स्तर पर बनी हुई हैं।
मल्होत्रा ने कहा कि भारत की रियल जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 प्रतिशत रह सकती है। पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 9.2 प्रतिशत पर था। वित्त वर्ष 2025-26 कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा रह सकता है, क्योंकि जलाशयों में पानी उच्च स्तर पर है और बंपर फसल उत्पादन होने की उम्मीद है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में वृद्धि होने की उम्मीद है और सर्विसेज सेक्टर में भी गतिविधियां मजबूत रहेंगी।
उन्होंने आगे कहा कि कृषि क्षेत्र के अच्छा प्रदर्शन करने के कारण ग्रामीण मांग मजबूत रहेगी और शहरी उपभोग भी बढ़ रहा है।
आरबीआई गवर्नर के मुताबिक, वित्त वर्ष 26 में महंगाई दर 4 प्रतिशत पर रह सकती है। यह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
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