दयाल सिंह कॉलेज, करनाल ने शुक्रवार को “समावेशी हरित अर्थव्यवस्थाएँ: महिलाएँ, उद्यमिता और पर्यावरण संबंधी चिंताएँ” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय बहुविषयक सम्मेलन का आयोजन किया। हाइब्रिड (ऑनलाइन और ऑफलाइन) प्रारूप में आयोजित इस कार्यक्रम में टिकाऊ आर्थिक मॉडल, लैंगिक समावेशिता और पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञ एक साथ आए।
प्राचार्य डॉ. आशिमा गक्खड़ ने आर्थिक विकास, लैंगिक समानता और स्थिरता के बीच संबंध पर चर्चा करने की आवश्यकता पर बल दिया तथा हरित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के प्रमुख चालकों के रूप में महिलाओं पर प्रकाश डाला।
दयाल सिंह कॉलेज ट्रस्ट सोसायटी एवं गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष डीके रैना और मानद सचिव वाइस एडमिरल सतीश सोनी (सेवानिवृत्त) ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित किया। सम्मेलन की सह-संयोजक डॉ. पूजा मल्होत्रा ने विषय का परिचय देते हुए चर्चा के लिए मंच तैयार किया।
मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी घनश्याम शुक्ला ने आर्थिक विकास में पर्यावरणीय जिम्मेदारी को एकीकृत करने की आवश्यकता तथा टिकाऊ व्यवसायों में महिला उद्यमियों की भूमिका पर जोर दिया।
मुख्य वक्ता, दिल्ली विश्वविद्यालय की एफएमएस डॉ. सोमा डे ने हरित अर्थव्यवस्थाओं को आकार देने में नीति समर्थन और अनुसंधान की भूमिका पर जोर दिया। यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. गंभीर सिंह चौहान ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की।
सम्मेलन में चर्चा किए गए शोध पर आधारित एक ई-सार पुस्तिका का अनावरण किया गया। गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। आयोजन सचिव डॉ. श्वेता यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में नवोन्मेषी टिकाऊ व्यावसायिक विचारों और शोध पहलों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी लगाई गई।
पूर्ण सत्र दो समानांतर मोड में आयोजित किए गए, दोनों ऑफ़लाइन और ऑनलाइन। ऑफ़लाइन सत्र में अनीता दुआ, महाबीर नरवाल और अनीता भटनागर ने हरित अर्थव्यवस्थाओं के विभिन्न पहलुओं पर बात की।
ऑनलाइन सत्रों में डॉ. हेंज हरमन (ऑस्ट्रेलिया), स्वेता स्तोत्रम भाष्यम (यूएसए), डॉ. सुधीर राणा (यूएई) और रचना (कनाडा) ने इस विषय पर वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हुए अपने विचार व्यक्त किए।
सम्मेलन में 18 भारतीय राज्यों और नौ देशों के विद्वानों और शिक्षाविदों के 488 पंजीकरण हुए। समानांतर तकनीकी सत्रों में शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। समापन सत्र का नेतृत्व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दूरस्थ और ऑनलाइन शिक्षा केंद्र की निदेशक मंजुला चौधरी ने किया, जहाँ उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन के विचारों को वास्तविक दुनिया की नीतियों में बदलने पर जोर दिया।
मुख्य अतिथि, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के गांधीवादी एवं शांति अध्ययन विभाग की अध्यक्ष डॉ. आशु पसरीचा ने अपने संबोधन में हरित आर्थिक बदलावों में महिला उद्यमियों की उभरती भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. पूजा मल्होत्रा ने मुख्य चर्चा का सारांश प्रस्तुत किया, जिसके बाद डॉ. अनीता अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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