राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा प्रायोजित “हिमाचल प्रदेश के मध्य-पहाड़ी क्षेत्रों में उद्यमिता विकास के लिए सजावटी मछली प्रजनन और पालन” पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 31 जनवरी को चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (सीएसकेएचपीकेवी), पालमपुर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय (COVAS) के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों और युवाओं को सजावटी मछली पालन को एक व्यवहार्य आजीविका विकल्प के रूप में तलाशने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करना था।
सीएसकेएचपीकेवी के कुलपति प्रोफेसर नवीन कुमार ने प्रतिभागियों को बधाई दी और उन्हें हिमाचल प्रदेश में सजावटी मछली पालन को एक उद्यमशीलता के अवसर के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विशेष रूप से राज्य के मध्य-पहाड़ी क्षेत्रों में एक लाभदायक उद्यम और आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में इसकी क्षमता पर जोर दिया।
हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों से कुल 50 किसानों और युवा उद्यमियों ने प्रशिक्षण में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें सजावटी मछली पालन के विभिन्न पहलुओं पर सैद्धांतिक और व्यावहारिक जानकारी दी गई, जिसमें सजावटी मछलियों के प्रकार, प्रजनन और पालन तकनीक, रोग प्रबंधन और उपचार, तथा मछली पोषण और देखभाल शामिल हैं।
राज्य मत्स्य विभाग और एनएफडीबी के विशेषज्ञों ने सूचनात्मक सत्र आयोजित किए, जिसमें प्रतिभागियों को सजावटी मछली पालन उद्यम स्थापित करने के लिए उपलब्ध वित्तपोषण विकल्पों और सरकारी योजनाओं के बारे में मार्गदर्शन दिया गया। प्रशिक्षण का संचालन डॉ. तरंग शर्मा, डॉ. मधु शर्मा और डॉ. प्रसेनजीत धर ने किया, जिन्होंने सजावटी मत्स्य पालन पर अपनी विशेषज्ञता साझा की।
समापन समारोह में डीजीसीएन कोवास के डीन डॉ. रविंद्र कुमार ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और सजावटी मछली पालन की आर्थिक संभावनाओं को दोहराया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उचित ज्ञान और तकनीकों के साथ, सजावटी मछली पालन हिमाचल प्रदेश के किसानों और युवाओं के लिए एक संतोषजनक शौक और एक स्थायी व्यवसाय दोनों हो सकता है।
इस पहल से अधिकाधिक व्यक्तियों को जलकृषि आधारित उद्यमिता अपनाने के लिए प्रोत्साहित होने की उम्मीद है, जिससे राज्य में स्वरोजगार और ग्रामीण आर्थिक विकास दोनों में योगदान मिलेगा।
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