गुरुग्राम, 3 जून एक दशक से अधिक समय से अपने गांव में रासायनिक औद्योगिक अपशिष्ट को अवैध रूप से जलाने के कारण अस्वस्थ जीवन जीने को मजबूर नूंह के खोरी खुर्द गांव के निवासियों ने राहत के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
स्थानीय निवासियों द्वारा दायर जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर स्थानीय लोगों द्वारा दी गई विभिन्न शिकायतों और प्रतिवेदनों तथा उठाए गए कदमों पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
याचिकाकर्ता ने कहा, “हमने 12 साल से ज़्यादा समय तक सरकार और स्थानीय प्रशासन पर भरोसा किया और यह एक डंप यार्ड बन गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और राजस्थान से रासायनिक कचरा यहाँ लाया जाता है और जलाया जाता है। निवासियों को आँखों, गले और फेफड़ों में समस्याएँ होती हैं।” “कुछ दिन पहले, आग लग गई। यह इतनी भीषण थी कि यह जंगल में फैल गई और आसानी से पूरे गाँव को जला सकती थी। अब हमें विश्वास है कि केवल उच्च न्यायालय ही हमारी जान बचा सकता है,” उन्होंने कहा। ट्रिब्यून ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि कैसे खोरी कलां और खोरी खुर्द के जुड़वां गाँव हर रात कचरे के अनियंत्रित जलने के कारण गैस चैंबर बन गए हैं।
हालांकि रिपोर्ट के बाद अधिकारियों ने छापेमारी की और जांच की तथा आसपास के क्षेत्र में चिकित्सा शिविर भी लगाए गए, लेकिन उनसे कोई परिणाम नहीं निकला और आगजनी बेरोकटोक जारी रही।
जब आग अरावली तक फैल गई और अग्निशमन विभाग को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब राज्य ने एक एसडीएम की अध्यक्षता में एक विशेष प्रदूषण बोर्ड टीम को समीक्षा के लिए भेजा।
लेकिन, निवासियों ने उम्मीद खो दी है और गांव को जलाकर छोड़ देने की धमकी दी है। फिर, उन्होंने पैसे इकट्ठा करके जनहित याचिका दायर की।
स्थानीय पंचायत ने एक बयान में कहा, “अदालत ही हमारी आखिरी उम्मीद है। हममें से कई लोगों ने अपने बच्चों को दूसरे गांवों में रिश्तेदारों के पास पढ़ने के लिए भेजना शुरू कर दिया है, क्योंकि हम उन्हें खांसते और मरते हुए नहीं देख सकते। अधिकारियों ने खोरी खुर्द में कोई मेडिकल कैंप नहीं लगाया, क्योंकि इससे उनका झूठ उजागर हो जाता। गांव के लोग मर रहे हैं और इसलिए हमने अदालत का रुख किया है।”
हरियाणा और राजस्थान के बीच रेवाड़ी और नूंह में कथित अवैध रूप से कचरा फेंकने को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है। राजस्थान में भाजपा की सरकार होने के कारण निवासियों को उम्मीद है कि दोनों राज्य मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेंगे।
न्यायालय हमारी आखिरी उम्मीद हमने 12 साल से ज़्यादा समय तक सरकार और स्थानीय प्रशासन पर भरोसा किया और फिर भी यह डंप यार्ड बन गया। एनसीआर और राजस्थान से रासायनिक कचरा लाकर यहां जलाया जाता है। यहां के निवासियों को आंखों, गले और फेफड़ों में समस्या होती है। अब हमें लगता है कि केवल हाईकोर्ट ही हमारी जान बचा सकता है। – याचिकाकर्ता
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