हिमाचल उच्च न्यायालय ने धर्मशाला के जदरांगल क्षेत्र में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश (सीयूएचपी) के उत्तरी परिसर के निर्माण में देरी पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
यह नोटिस हिमाचल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति राजन शर्मा की खंडपीठ ने 11 अप्रैल को धर्मशाला निवासी अतुल भारद्वाज द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर जारी किया।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील नित्या शर्मा ने ट्रिब्यून को बताया कि याचिका में हमने विशेष रूप से पहले से स्वीकृत नीति के कार्यान्वयन के लिए राज्य और केंद्र सरकारों के खिलाफ न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की थी।
इस तथ्य के बावजूद कि धर्मशाला में केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण की परियोजना को केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है, इसके कार्यान्वयन में काफी देरी हुई।
नित्या शर्मा ने कहा कि इस उपेक्षा के परिणामस्वरूप देहरा परिसर और धर्मशाला परिसर के विकास में मनमानी असमानता पैदा हो रही है और इस तरह का भेदभाव अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता और राज्य की मनमानी कार्रवाई से संरक्षण) का उल्लंघन है।
जदरांगल में हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर की स्थापना की परियोजना 18 महीने से लंबित है, जबकि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा परियोजना के लिए सभी मंजूरियां दे दी गई हैं।
राज्य सरकार ने जदरांगल में वन भूमि को सीयूएचपी के नाम पर स्थानांतरित करने के लिए 30 करोड़ रुपये जमा नहीं किए हैं, जिसके कारण परियोजना शुरू नहीं हो पाई है। राशि जमा करने के लिए फाइल जुलाई 2023 में सरकार को भेजी गई थी।
धर्मशाला परिसर में देरी हो रही है, जबकि देहरा में सीयूएचपी का दक्षिणी परिसर तैयार हो रहा है। सूत्रों ने यहां बताया कि केंद्र सरकार ने देहरा और धर्मशाला के जदरांगल में सीयूएचपी के दो परिसरों के निर्माण के लिए 500 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। दोनों परिसरों पर करीब 250-250 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं।
देहरा परिसर के निर्माण का काम शुरू हो गया है, लेकिन जदरांगल परिसर में काम शुरू नहीं हो पाया है क्योंकि राज्य सरकार ने इसके लिए भूमि सीयूएचपी को हस्तांतरित नहीं की है। यह मुद्दा संसद के पिछले बजट सत्र में भी उठा था, जब कांगड़ा से भाजपा सांसद राजीव भारद्वाज ने इस मामले को उठाया था और दावा किया था कि सीयूएचपी के उत्तरी परिसर के लिए स्वीकृत 250 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए जा रहे हैं, क्योंकि राज्य सरकार सीयूएचपी के नाम पर जदरांगल में वन भूमि के हस्तांतरण के लिए 30 करोड़ रुपये जारी नहीं कर रही है।
हिमाचल उच्च न्यायालय ने राज्य और केंद्र सरकार को अतुल भारद्वाज की याचिका पर अगली सुनवाई 19 मई को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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