हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने ढाबों और भोजनालयों के बाहर नाम प्रदर्शित करने के मुद्दे पर डीजीपी, गृह सचिव और शिमला नगर निगम को नोटिस जारी किया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर ये नोटिस जारी किए गए हैं। अदालत ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया है कि वे इस संबंध में अगले तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करें।
शिमला के पूर्व उप महापौर एवं याचिकाकर्ता टिकेन्द्र पंवार ने दलील दी कि ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के बयान शिमला के सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
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याचिकाकर्ता ने संजौली मस्जिद और कथित अवैध निर्माण के संबंध में सरकारी अधिकारियों के कुछ निर्देशों को चुनौती दी, खासकर बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के संदर्भ में। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग की, जिसका कथित तौर पर उल्लंघन किया गया था।
यह याचिका खाद्य विक्रेताओं, उद्यमियों, दर्जी और अन्य लोगों जैसे लक्षित व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता और सामाजिक-आर्थिक सम्मान की रक्षा के लिए दायर की गई है, जिन्हें सामाजिक बहिष्कार, बेदखली, विध्वंस और बहिष्कृत करने की धमकियाँ मिली हैं। यह तर्क दिया गया है कि याचिका इसलिए दायर की गई है क्योंकि लक्षित व्यक्तियों के पास अदालतों तक पहुँचने के साधन और संसाधन नहीं हैं।
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